स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में एक वीडियो पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें एक तथाकथित धार्मिक गुरु ने दावा किया कि 'रामचरित मानस' को भगवान ने लिखा था। मौर्य ने कहा कि यह दावा न केवल भ्रामक है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग धर्म के नाम पर जनता को गुमराह कर रहे हैं।
वीडियो में, बाबा ने ‘रामचरित मानस’ को भगवान द्वारा रचित बताकर जनता को भ्रमित करने की कोशिश की। स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस बात पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह एक स्पष्ट झूठ है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व को मालूम है कि ‘रामचरित मानस’ का लेखन महान कवि तुलसीदास ने किया था, और इस तरह के झूठे दावों से समाज में भ्रम फैलाना अस्वीकार्य है।
इस महामूर्ख को यह भी नहीं पता कि जिस चौपाई का हवाला दे रहा है उसे किसने लिखा ? भगवान की दोहाई देकर भोली-भाली जनता को गुमराह कर रहा है ऐसे ही अज्ञानी धर्माचार्यो ने देश का बंटाधार कर रखा है।#Pakhandi #mahamurkha pic.twitter.com/8oNL8eNXLp
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) August 1, 2024
मौर्य ने धार्मिक भ्रामकता पर भी सवाल उठाया और कहा कि ऐसे अज्ञानी धर्माचार्यों ने देश को भ्रमित और बंटा हुआ बना दिया है। उन्होंने इस बात को स्पष्ट किया कि ऐसे व्यक्ति भगवान के नाम पर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं और समाज को सही दिशा में ले जाने की बजाय उसे और अधिक विभाजित कर रहे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने वीडियो में उद्धृत चौपाई का भी विरोध किया, जिसमें ब्राह्मणों और शूद्रों के बीच भेदभाव की बात की गई है। चौपाई में कहा गया है:
"पूजहि विप्र सकल गुण हीना। शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा॥"
इसका मतलब है कि ब्राह्मण भले ही गुणहीन हो, उसकी पूजा करनी चाहिए, जबकि शूद्र चाहे कितना भी गुणी हो, उसकी पूजा नहीं करनी चाहिए। मौर्य ने इस विचारधारा की तीखी निंदा करते हुए कहा कि यह जातिवाद को बढ़ावा देने और समाज में असमानता को स्वीकार करने वाला है।
मौर्य ने यह भी कहा कि धार्मिक और सामाजिक सुधार के लिए जरूरी है कि हम ऐसे झूठे दावों और भ्रामक धार्मिक विचारों को चुनौती दें और सच्चाई को स्थापित करें।