देश के प्रमुख संस्थानों में से एक, भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) में जातिगत समानता की स्थिति पर गंभीर सवाल उठे हैं। हाल ही में यह जानकारी सामने आई है कि पूरे देश के सभी IIM में कुल मिलाकर सिर्फ 3 अनुसूचित जाति (SC) के शिक्षक और 0 अनुसूचित जनजाति (ST) के शिक्षक हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पत्रकार दिलीप मंडल ने सवाल उठाया है कि क्या भारत के मुख्य न्यायाधीश, डी.वाई. चंद्रचूड़, इस मुद्दे का जवाब देंगे?
मंडल ने आरोप लगाया है कि चंद्रचूड़ द्वारा इस स्थिति को सही ठहराने के लिए SC और ST समुदाय के लोगों पर असमान बंटवारे का आरोप लगाया गया है। चंद्रचूड़ ने यह भी सुझाव दिया कि क्रीमी लेयर की अवधारणा को लागू किया जाए, जिससे केवल उन लोगों को ही अवसर मिलें जो पहले से ही समाज के समृद्ध वर्ग से आते हैं। मंडल ने इस सुझाव को नकारते हुए कहा कि यह पूरी तरह से अनुचित है और यह उन लोगों को भी प्रभावित करेगा जो पहले से ही प्रतिनिधित्व के अभाव से जूझ रहे हैं।
शेयर करें: सभी IIM में मिलाकर 3 SC और 0 ST के टीचर है। चंद्रचूड़ कह रहा है कि इनमें बँटवारा कर दो क्योंकि SC, ST की कुछ जातियों ने सारी मलाई खा ली! जज तो ये भी कह रहे हैं कि क्रीमी लेयर लगा दो।
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 2, 2024
पागल हो गए हो क्या जज महोदय? जो एक दो आ रहे हैं उनको भी काट दो। #SaveReservation pic.twitter.com/ToVhN5m3sY
"पागल हो गए हो क्या जज महोदय? जो एक दो आ रहे हैं उन्हें भी काट दो।" यह टिप्पणी मंडल द्वारा की गई है, जो इस बात की ओर इशारा करती है कि जजों के सुझाव से केवल उन लोगों को नुकसान होगा जो पहले से ही सामाजिक और शैक्षिक अवसरों से वंचित हैं।
यह मामला न केवल न्यायिक दृष्टिकोण को चुनौती देता है, बल्कि यह भारतीय शिक्षा प्रणाली में जातिगत भेदभाव और असमानता के सवाल को भी सामने लाता है। इस मुद्दे पर व्यापक बहस की आवश्यकता है ताकि सभी वर्गों को समान अवसर मिल सकें और समाज में समानता की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकें।