नई दिल्ली: 'राजपूत्स ऑफ इंडिया' ने एक बार फिर भगवान श्री कृष्ण के वंशजों को लेकर एक विवादित बयान जारी किया है। इस संगठन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा है कि क्षत्रिय कुलभूषण भगवान श्री कृष्ण के वंशज भाटी, जादौन, जडेजा, चूड़ासमा, छोंकर आदि क्षत्रिय जातियों से हैं। संगठन ने इस बात पर जोर दिया है कि 1920 के बाद यादव उपनाम अपनाने वाली अहीर, घोसी, सदगोप, ग्वाला, मेहर चरवाहा जातियों का कृष्ण से कोई वंशानुगत संबंध नहीं है।
'राजपूत्स ऑफ इंडिया' ने X पर इस बयान के साथ एक वीडियो भी साझा किया है, जिसमें इन दावों का विस्तार से उल्लेख किया गया है। वीडियो में दावा किया गया है कि प्राचीन काल से क्षत्रिय जातियों ने भगवान श्री कृष्ण की वंश परंपरा को संजोकर रखा है और वही उनके असली वंशज हैं। संगठन ने यह भी कहा कि 1920 के बाद यादव उपनाम अपनाने वाले अन्य जातियों के लोग भगवान कृष्ण के वास्तविक वंशज नहीं हैं, बल्कि उन्होंने केवल सांस्कृतिक और सामाजिक आधार पर इस उपनाम को अपनाया है।
क्षत्रिय कुलभूषण भगवान श्री कृष्ण के वंशज भाटी,जादौन,जडेजा, चूड़ासमा, छोंकर आदि है। 1920 में यादव उपनाम अपनाने वाले अहीर,घोसी, सदगोप,ग्वाला,मेहर चरवाहा जातियों का कृष्ण से कोई वंशानुगत संबंध नहीं है।#Janmashtami #JanmashtamiCelebration #janmashtamispecial pic.twitter.com/lbUnflQc0B
— Rajput's Of INDIA (@rajput_of_india) August 26, 2024
इस बयान ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। यादव समुदाय के कई नेताओं और संगठनों ने इस बयान की कड़ी निंदा की है और इसे भेदभावपूर्ण और इतिहास की गलत व्याख्या करार दिया है। यादव समाज के प्रवक्ताओं ने कहा है कि भगवान श्री कृष्ण का संबंध पूरे समाज से है, न कि किसी विशेष जाति या समुदाय से। उन्होंने 'राजपूत्स ऑफ इंडिया' के इस बयान को विभाजनकारी बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है।
विवाद के बीच, यह देखना होगा कि दोनों पक्षों के बीच इस मुद्दे पर क्या संवाद होता है, और क्या कोई सुलह का रास्ता निकलता है या नहीं। फिलहाल, सोशल मीडिया पर यह मुद्दा गर्म बना हुआ है और लोग अपनी-अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं।