भारतीय सेना के वीर जवान मेजर मोहित शर्मा, जिन्होंने 2009 में आतंकियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवाई, उनकी मां सुशीला शर्मा के दिल में आज भी दर्द और आंसू हैं। हाल ही में एक साक्षात्कार में उन्होंने अपने दिल की पीड़ा बयां करते हुए कहा, "जिस दिन बेटा शहीद हो, उस दिन मां-बाप को भी मार दिया जाए।" यह शब्द उस मां के हैं, जिसने अपने बेटे की शहादत के बाद न केवल अपने लाल को खोया, बल्कि जिंदगी में सहने के लिए बहुत कुछ और भी पाया।
सुशीला शर्मा ने बताया कि उनके बेटे की शहादत के बाद उन्हें जो दर्द सहना पड़ा, वह किसी भी मां-बाप के लिए असहनीय है। उन्होंने अपने बहू के रवैये पर सवाल उठाते हुए बताया कि उनके बेटे की शहादत के बाद बहू ने उनसे रिश्ता तोड़ लिया और मुआवज़े की सारी रकम भी अपने पास रख ली। उन्होंने कहा, "आज मेरे पास आंसुओं के अलावा कुछ नहीं बचा है। हमें न तो कोई मेडिकल सुविधा मिली, न ही सरकार की ओर से कोई और सहायता।"
'जिस दिन बेटा शहीद हो, उस दिन मां-बाप को भी मार दिया जाए'
— Govind Pratap Singh | GPS (@govindprataps12) August 21, 2024
- ये शब्द सुशीला शर्मा के हैं, जो शहीद मेजर मोहित शर्मा की मां हैं.
शहीद मेजर मोहित की मां ने भी NOK पर सवाल उठाए हैं.
उनका दावा है कि उनकी बहू ने उनसे रिश्ता तोड़ दिया और मुआवज़े की सारी रकम भी ले ली. pic.twitter.com/5KlLqGxE2P
सुशीला शर्मा ने यह भी बताया कि उनके बेटे के शहादत के समय उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था, लेकिन उस सम्मान समारोह में उन्हें नहीं बुलाया गया। उन्होंने कहा, "जब हमें अशोक चक्र के लिए नहीं बुलाया गया, तब मेरे बड़े बेटे ने बहुत संघर्ष किया, तब जाकर हमें बुलाया गया। लेकिन इससे पहले, हमारे लिए किसी को कोई मतलब नहीं था।"
उन्होंने कहा कि उनके बेटे की सैलरी और प्रमोशन्स का फायदा अब उनकी बहू को मिल रहा है, जबकि वह अब उनके परिवार का हिस्सा नहीं है। "हमने अपने बेटे को 27 साल पाल पोसकर बड़ा किया, लेकिन अब हमारे पास कुछ नहीं बचा। हमें हमारे बेटे का कोई हिस्सा नहीं मिला," उन्होंने कहा।
मेजर मोहित शर्मा ने अपने जीवन में कई खतरनाक ऑपरेशनों में भाग लिया था और अपनी वीरता के लिए जाने जाते थे। 2009 में, उन्होंने आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान दे दी। उस रात, डेढ़ बजे, सुशीला शर्मा को वह संदेश मिला, जिसने उनकी जिंदगी को बदल कर रख दिया – "वह शहीद हो गया।"
सुशीला शर्मा का यह दर्दनाक बयान, उन सभी मां-बाप के लिए एक सवाल उठाता है जो अपने बच्चों को देश की सेवा के लिए भेजते हैं, लेकिन बदले में उनके लिए सिर्फ आंसू और दर्द ही बचते हैं। उनका कहना है कि शहीदों के माता-पिता को भी सम्मान और उनके अधिकार मिलने चाहिए।