बलिया, उत्तर प्रदेश: यूपी पुलिस में कांस्टेबल प्रदीप कुमार की पत्नी की इलाज के अभाव में मौत हो गई, और इस दुखद घटना ने एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है - जिम्मेदार कौन?
प्रदीप कुमार, जो बलिया में पुलिस कांस्टेबल हैं, को दो दिन पहले सूचना मिली कि उनकी पत्नी की तबियत अचानक बिगड़ गई है और वह गंभीर रूप से बीमार हैं। जैसे ही उन्हें इस आपात स्थिति का पता चला, प्रदीप ने तुरंत अपने थानेदार के पास जाकर छुट्टी की गुहार लगाई। उन्होंने थानेदार से अनुरोध किया कि वह अपनी पत्नी के इलाज के लिए छुट्टी की अनुमति दें, ताकि वह अस्पताल जाकर उनकी देखभाल कर सकें।
हालांकि, प्रदीप की विनती के बावजूद, थानेदार ने न केवल उनकी शिकायत को नजरअंदाज किया बल्कि उन्हें डाँटकर थाने से बाहर कर दिया। प्रदीप को उनकी पत्नी की गंभीर स्थिति के बारे में बताते हुए, थानेदार ने उन्हें यह कहकर भेज दिया कि वह अपनी ड्यूटी पर ध्यान दें और छुट्टी की मांग को लेकर बात न करें।
इसके बाद, प्रदीप की पत्नी की हालत लगातार बिगड़ती गई, और इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गई। यह घटना न केवल प्रदीप के परिवार के लिए एक बड़ा सदमा है, बल्कि एक गंभीर प्रशासनिक और मानवीय विफलता को भी उजागर करती है।
अब सवाल यह उठता है कि जब एक पुलिसकर्मी की पत्नी को तत्काल इलाज की आवश्यकता थी, तो उसकी छुट्टी की मांग को क्यों नजरअंदाज किया गया? क्या यह केवल एक बेतुकी प्रशासनिक कार्रवाई थी, या फिर इसमें कोई और गंभीर कारण छिपा है?
प्रदीप के परिवार और स्थानीय समुदाय ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और न्याय की मांग की है। यह मामला अब पुलिस प्रशासन की कार्यशैली और मानवता के मूल्यों पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या सिस्टम में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे? यह समय बताएगा।