नई दिल्ली: पत्रकार और समाजशास्त्री दिलीप मंडल ने हाल ही में कोलेजियम सिस्टम को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि यह प्रणाली असंवैधानिक है और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा बन गई है। मंडल ने इसे विदेशी ब्राह्मणों द्वारा लाई गई एक साजिश करार दिया, जो कि देश की हर प्रणाली पर नियंत्रण हासिल करना चाहती थी।
मंडल ने अपने बयान में कहा, “संविधान सभा के दौरान बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने कोलेजियम सिस्टम को खारिज कर दिया था। बाबासाहेब ने इस प्रणाली को लोकतंत्र के लिए खतरे के रूप में देखा और इसके खिलाफ अपनी स्पष्ट आपत्ति दर्ज की थी।” उन्होंने बताया कि कोलेजियम सिस्टम, जो जजों की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार है, एक विदेशी ब्राह्मण विचारधारा का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश की न्याय व्यवस्था को नियंत्रित करना है।
कोलेजियम सिस्टम की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया। इस प्रणाली के तहत, जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर का अधिकार एक चयन समिति के पास होता है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज शामिल होते हैं। हालांकि, आलोचक इस प्रणाली पर सवाल उठाते हैं, और मंडल के अनुसार, यह एक “संविधान विरोधी प्रणाली” है जो लोकतांत्रिक मानकों पर खरा नहीं उतरती।
जजों की नियुक्ति का कोलेजियम सिस्टम संवैधानिक नही है!
— Surya sinh नागवंशी (@surya_sinh88) August 11, 2024
संविधान सभा में कोलेजियम सिस्टम को बाबासाहेब ने खारिज कर दिया था और चर्चा करते कहा था कि कोलेजियम सिस्टम देश के लोकतंत्र के लिए खतरा है!
देश की हर सिस्टम पर संपूर्ण कब्जा करने के लिए विदेशी ब्राह्मणो द्वारा लाई गई सिस्टम है। pic.twitter.com/6S30dhLk8y
मंडल ने यह भी कहा कि यह प्रणाली देश के लोकतंत्र को कमजोर करती है और इसे विदेशी ब्राह्मणों द्वारा थोपे गए एक सांस्कृतिक आक्रमण के रूप में देखा जाना चाहिए। उनका तर्क है कि यह प्रणाली न्यायिक नियुक्तियों को एक विशेष वर्ग के हाथों में सीमित कर देती है, जिससे लोकतंत्र की स्वतंत्रता और निष्पक्षता प्रभावित होती है।
कोलेजियम सिस्टम की वर्तमान स्थिति को लेकर विवादों का सिलसिला लगातार जारी है, और दिलीप मंडल के ये बयान इस बहस को और गहरा कर सकते हैं। इस प्रणाली की संवैधानिक वैधता और उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए, यह देखना होगा कि इस मुद्दे पर भविष्य में क्या निर्णय लिया जाएगा और क्या कोई नया सुधार लागू किया जाएगा।