नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले को लेकर एक बार फिर विवाद पैदा हो गया है। महिला नेता दीदी निर्देश सिंह ने तीखे शब्दों में इस फैसले की निंदा की है। उनके अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के ब्राह्मण जजों ने अपने जातिवादी दृष्टिकोण से संविधान की मूल भावना का उल्लंघन किया है।
दीदी निर्देश सिंह ने अपने बयान में कहा, "कल सुप्रीम कोर्ट के ब्राह्मण जजों ने एक बार फिर अपनी जातिवादी सोच का परिचय दिया है। उनके द्वारा जारी किया गया फैसला न केवल असंवैधानिक है बल्कि यह संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।
"आज सुप्रीम कोर्ट के ब्राह्मण जजो ने फिर से अपनी जातीवादी सोच जगजाहिर कर दी
— Nirdesh Singh (@didinirdeshsing) August 2, 2024
फिर से बता दिया कि सुप्रीम कोर्ट से संविधान को खतरा है,क्योंकि एससी,एसटी आरक्षण का वर्गीकरण असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ है।
लेकिन अब लोगो के इतने विरोध के बाद… pic.twitter.com/8rAeLYamC1
उन्होंने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह निर्णय अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण को लेकर गलत वर्गीकरण पर आधारित है। "यह फैसला न केवल संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि इससे समाज में जातिवादी पूर्वाग्रहों को भी बढ़ावा मिलता है।"
दीदी निर्देश सिंह का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट में बैठे जजों ने अपने जातिगत दृष्टिकोण से काम किया है, जो न्याय के मूलभूत सिद्धांतों को ध्वस्त करता है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को तुरंत रद्द करे और न्याय की सच्चाई को प्राथमिकता दे।
उनके बयान के बाद विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की है। समाज के विभिन्न वर्गों ने भी इस फैसले की आलोचना की है और इसे संविधान के खिलाफ बताया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विवाद केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि समाज में जातिवादी सोच के खिलाफ एक बड़ा सवाल भी खड़ा करता है। समाज में समानता और न्याय की रक्षा के लिए यह आवश्यक है कि सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को पुनर्विचार करे और संविधान की मूल भावना के अनुरूप निर्णय दे।