मिर्जापुर, लालगंज कोठी लहनपुर गांव में दलित समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया है कि समाजवादी पार्टी (सपा) के यादव नेताओं ने उनकी जमीनों पर अवैध कब्जा कर लिया है। दलितों का कहना है कि करीब 60 बीघा जमीन, जो गरीब पिछड़ों और दलितों की है, उसे जबरदस्ती कब्जा कर लिया गया है। इस मामले में गांव के प्रधान, जो स्वयं यादव समुदाय से हैं, पर विशेष रूप से आरोप लगाए गए हैं।
दलितों का कहना है कि उनके साथ यह अत्याचार लंबे समय से हो रहा है, और उनकी जमीनों को उनसे छीनकर उन पर कब्जा कर लिया गया है। इस मामले को लेकर उन्होंने कई बार अधिकारियों और प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन अब तक उन्हें न्याय नहीं मिला है।
ग्रामीणों ने बताया कि इस मामले को लेकर वे मीडिया के पास भी गए थे, लेकिन उन्हें कोई समर्थन नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया में हिम्मत नहीं है कि वह उनके पक्ष की बात को सामने लाए। दलित समुदाय के लोगों का कहना है कि वे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी आवाज को दबा दिया जा रहा है।
यादव लोग “दलितों” की जमीनें कब्जा किये हैं?
— Sudhir Mishra 🇮🇳 (@Sudhir_mish) August 19, 2024
सपा के यादव लोग प्रधान हैं, करीब 60 बीघा गरीब पिछड़ों, दलितों, की जमीनें जबरदस्ती कब्जा किये हैं?
मीडिया में हिम्मत नहीं है,, ईन गरीबों की आवाज उठाने की?
पिछड़ों, दलितों, पर सपा का जुल्म रूक नहीं रहा?
यह बहुत निंदनीय है.... pic.twitter.com/vgGIy79mcN
"हम गरीब और पिछड़े लोग हैं, हमारी जमीनें ही हमारी आजीविका का एकमात्र साधन हैं। अगर हमारी जमीनें हमसे छीन ली जाएंगी, तो हम कहां जाएंगे?" एक ग्रामीण ने अपने दर्द को व्यक्त करते हुए कहा।
इस मुद्दे ने गांव में तनाव पैदा कर दिया है, और दलित समुदाय के लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनके साथ न्याय नहीं किया गया, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, प्रशासन का कहना है कि वे मामले की जांच कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना न केवल मिर्जापुर में बल्कि पूरे राज्य में दलितों और पिछड़ों के साथ हो रहे अत्याचारों की कड़वी सच्चाई को उजागर करती है। दलित समुदाय ने राज्य सरकार से अपील की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और उन्हें न्याय दिलाएं।
अभी यह देखना बाकी है कि प्रशासन और सरकार इस मामले में क्या कदम उठाते हैं, और क्या दलितों को उनका हक मिल पाता है या नहीं।