नई दिल्ली: जन्तर-मंतर पर पेपर लीक मामले के विरोध में धरना दे रहे छात्रों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई ने एक नई बहस छेड़ दी है। छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें सड़क पर घसीटा, सिर फोड़ा, महिला छात्रों के कपड़े फाड़े और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। यह घटना शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे और एनटीए की बर्खास्तगी की मांग को लेकर हो रहे प्रदर्शन के दौरान हुई।
छात्र संगठन और प्रदर्शनकारी छात्रों ने इस कार्रवाई को निंदनीय और शर्मनाक बताते हुए कहा कि यह उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। उनका आरोप है कि पुलिस ने उनकी शांतिपूर्ण विरोध की आवाज को दबाने के लिए हिंसा का सहारा लिया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने बताया कि पुलिस ने उन्हें बेरहमी से पीटा और महिला छात्रों के साथ अपमानजनक व्यवहार किया।
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— 𝙈𝙪𝙧𝙩𝙞 𝙉𝙖𝙞𝙣 (@Murti_Nain) August 11, 2024
जन्तर मन्तर पर धरना देने और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से इस्तीफा और #NTABAN की मांग कर रहे #पेपर_लीक छात्रों को दिल्ली पुलिस ने सड़क पर घसीटा, सिर फोड़े, महिला छात्राओं के कपड़े फाड़े और किया गिरफ्तार,
मोदीजी ये छात्र देश के भविष्य हैं और इनके साथ आंतकियों… pic.twitter.com/hK9ArCY0A5
एक छात्र नेता ने कहा, "हमने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया, लेकिन दिल्ली पुलिस ने हमें आंतकियों की तरह कुचला। यह हमारे देश की युवा शक्ति के प्रति एक अपमानजनक व्यवहार है। मोदीजी, ये छात्र देश के भविष्य हैं, और इनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है?"
छात्रों का आरोप है कि पेपर लीक के मामलों में पिछले कुछ महीनों में कई परीक्षाएं प्रभावित हुई हैं, और उनकी मांग है कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। प्रदर्शनकारी छात्रों ने एनटीए (राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी) की भी बर्खास्तगी की मांग की है, क्योंकि उनका कहना है कि एनटीए के भ्रष्टाचार के कारण परीक्षाओं की विश्वसनीयता प्रभावित हो रही है।
दिल्ली पुलिस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारियों ने नियमों का उल्लंघन किया और पुलिसकर्मियों पर हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें गिरफ्तार किया गया। पुलिस का कहना है कि उन्होंने केवल कानून का पालन किया और किसी भी प्रकार की हिंसा का सहारा नहीं लिया।
इस घटना ने दिल्ली की राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोलते हुए इसे एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन करार दिया है। आने वाले दिनों में इस मामले पर संसद में चर्चा होने की संभावना है, और छात्रों के साथ किए गए व्यवहार पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।