नई दिल्ली: प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान डॉ. विलास खरात ने ट्वीटर पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि सोमनाथ मंदिर, जगन्नाथ मंदिर और चार धाम मूलतः बौद्ध स्थल हैं और विदेशी आक्रांता ब्राह्मणों द्वारा नाजायज रूप से कब्जा किए गए हैं। डॉ. खरात ने दावा किया कि ब्राह्मणों ने इन स्थलों पर कब्जा करके हिंदू धर्म की आड़ में अपने विदेशीपन को छिपाया है।
डॉ. खरात ने अपने बयान में जोर देकर कहा कि ये स्थल मूलतः बौद्ध धार्मिक केंद्र थे और ब्राह्मणों ने इन स्थलों पर कब्जा कर बौद्ध धर्म के मूल तत्वों को नष्ट कर दिया। उनका कहना है कि ब्राह्मण धर्म वास्तव में भारतीय मूल का नहीं है और इसका विदेशी मूल है। उन्होंने ब्राह्मणों की आलोचना करते हुए कहा, "धिक्कार है उन विदेशी ब्राह्मणों पर जिन्होंने भारतीय संस्कृति और धार्मिक स्थलों पर अपना नाजायज कब्जा जमाया।"
ब्राह्मण धर्म चोरी पर खड़ा है।
— Dr.Vilas Kharat (@vilas1818) August 11, 2024
धिक्कार है विदेशी ब्राम्हणों का।
सोमनाथ मंदिर,जगन्नाथ मंदिर,चारो धाम यह मूलत: बौद्ध स्थल है जिनपर विदेशी आक्रांता ब्राम्हणों ने नाजायज कब्जा किया हुआ है।
जागो भारत के मूलनिवासियों!
ब्राम्हण अपना विदेशीपन छिपाने के लिए हिंदू शब्द के आड़े छिपा हुआ है। pic.twitter.com/hdcAJdDtBe
सोमनाथ मंदिर, जो कि गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है, और जगन्नाथ मंदिर, जो ओडिशा के पुरी में है, दोनों ही भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त, चार धाम, जो उत्तराखंड के चार प्रमुख धार्मिक स्थलों का समूह है, हिंदू धर्म के चार प्रमुख तीर्थ स्थल हैं। इन स्थलों की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्वता को लेकर अनेक विद्वानों और धार्मिक नेताओं के बीच अलग-अलग मत हैं।
डॉ. खरात का यह बयान भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक बहस को और भी उत्तेजित कर सकता है, क्योंकि इसमें प्रमुख धार्मिक स्थलों को लेकर ऐतिहासिक दावों की चर्चा की गई है। उनका कहना है कि भारत के मूल निवासियों को जागरूक रहना चाहिए और ब्राह्मण धर्म के विदेशीपन को पहचानना चाहिए।
विवेकानंदने मान्य किया था कि(उनके खंड 3, पृ.264)"जगन्नाथ मंदिर एक पुराना बुद्ध मंदिर है। ब्राम्हणोंने उसपर कब्जा करके उसे ब्राम्हणोंके मंदिर में तब्दील किया।जो बौद्धों का त्रिरत्न हैउसे ही ब्राम्हणोंने कृष्ण,बलराम और सुभद्रा बनाया।रथयात्रा सम्राट अशोकने शुरू किया जो आज भी जारी है pic.twitter.com/L72V0VJwRl
— Dr.Vilas Kharat (@vilas1818) August 11, 2024
हालांकि, डॉ. खरात के इस बयान के खिलाफ अनेक हिंदू संगठनों और धार्मिक नेताओं ने विरोध दर्ज किया है, जिन्होंने इसे ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत बताया है। उनका कहना है कि इन धार्मिक स्थलों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर पर चर्चा और अध्ययन की आवश्यकता है, लेकिन इसके लिए सम्मानजनक और तथ्यों पर आधारित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
डॉ. खरात के बयान ने धार्मिक और ऐतिहासिक बहस को एक नया मोड़ दिया है और यह सवाल उठाया है कि भारतीय धार्मिक स्थलों का सही इतिहास क्या है और उन पर किसका अधिकार है।