अहमदाबाद: गुजरात में आत्महत्याओं की घटनाओं में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। बीते चार वर्षों में राज्य में आत्महत्या करने वाले लोगों की संख्या 32 हजार से अधिक हो गई है। यह आंकड़े सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में सामने आए हैं। डायमंड वर्कर यूनियन गुजरात के अध्यक्ष रणमलभाई जिलरिया ने आरटीआई एक्ट 2005 के तहत गुजरात पुलिस से यह जानकारी मांगी थी कि 2018 से 2021 के बीच कितने डायमंड वर्कर ने आत्महत्या की है।
रणमलभाई जिलरिया ने बताया कि गुजरात पुलिस के एससीआरबी (संगठित अपराध नियंत्रण ब्यूरो) की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, पिछले चार सालों में गुजरात में 32 हजार से ज्यादा आत्महत्याओं की घटनाएं दर्ज की गई हैं। हालांकि, इसमें डायमंड वर्करों की संख्या की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। जिलरिया ने इस मुद्दे पर और जानकारी जुटाने के लिए स्थानीय थानों से भी डेटा मांगा है।
#गुजरात में 48 घंटे में 56 लोगों ने आत्महत्या की लगभग हर 1 घंटे में एक आत्महत्या
— 𝙈𝙪𝙧𝙩𝙞 𝙉𝙖𝙞𝙣 (@Murti_Nain) August 11, 2024
और चौंकाने वाली बात यह है कि मरने वालों में लगभग सभी बिजनेस परिवारों से थे!
👉 पहला सवाल... विदेशों में सबसे ज्यादा पलायन करने वाले और गलत तरीके से विदेश जाने वालों में गुजरात के ही लोग हैं.. ऐसा… pic.twitter.com/dB7OxPLVII
विशेषज्ञों के अनुसार, आत्महत्याओं की बढ़ती दर समाज में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और आर्थिक दबावों को दर्शाती है। गुजरात जैसे विकसित राज्य में इस तरह की घटनाओं की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। कई मामलों में आर्थिक संकट, बेरोजगारी और व्यक्तिगत समस्याएं आत्महत्या का कारण बन रही हैं।
इस बढ़ती हुई समस्या को देखते हुए सरकार और समाज के विभिन्न संगठनों को आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ाना, समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाना और आर्थिक सहायता योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना इन समस्याओं का समाधान हो सकता है।
आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के साथ, यह आवश्यक हो गया है कि सरकार और सामाजिक संगठनों मिलकर एक समग्र रणनीति तैयार करें ताकि लोगों को इस तरह के संकट से उबारने में मदद मिल सके और समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।