चंडीगढ़, 31 अगस्त 2024 – पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी की इनचार्ज साक्षी ने आज एक विवादास्पद पोस्ट के माध्यम से केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। साक्षी, जो कि एआईसीसी-पीपीसीसी ऑफिस इनचार्ज और पूर्व राज्य समन्वयक (पंजाब) के रूप में कार्यरत हैं, ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक लिखित मामले को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के खिलाफ जमकर निशाना साधा है।
साक्षी ने अपने पोस्ट में एक अदालत के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि व्रिट केस नंबर 36445/2014 में माननीय जज ने 22 करोड़ रुपये और 28.50 करोड़ रुपये के कालाधन के बैंक में आने की बात स्वीकार की। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार की वजह से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), आयकर विभाग (Income Tax India), और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को ट्रांसफर नहीं किया गया।
साक्षी ने अपने पोस्ट में एक आर्डर को साझा किया जिसमें 31 मार्च 2011 और 31 मार्च 2012 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में की गई जांच की रिपोर्ट शामिल थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक ने अगस्त 2010 में 64 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे, जिसे बैंक ने धोखाधड़ी प्रविष्टियों को समायोजित करने के लिए माना। हालांकि, जांच के दौरान पाया गया कि इस राशि में से 34.15 करोड़ रुपये नए डेबिट के रूप में दर्ज किए गए थे, जबकि शेष राशि नकद/फंड ट्रांसफर के रूप में प्राप्त की गई थी। बैंक द्वारा प्राप्त फंडों की उत्पत्ति का संतोषजनक प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया, और इसे विविध जमा के रूप में माना गया।
Hon @nsitharaman जी @BJP4India के राज में रिश्वत की हद हो गई Writ Case No.36445/2014 में Hon'ble जज ने साफ़ कहा 👇Rs.22 & Rs.28.50 Cr. कालाधन बैंक में आया @RBI के अफसरों पर भृष्टाचार की ऐसी पट्टी बंधी की उन्होने नियमानुसार ये केस न #CBI @IncomeTaxIndia , @dir_ed को ट्रांसफर किया pic.twitter.com/3tOP6S4p92
— Sakshi (@ShadowSakshi) May 31, 2021
आगे की जांच में पाया गया कि 64 करोड़ रुपये में से 50 करोड़ रुपये विभिन्न ऋण खातों में स्थानांतरित किए गए, और 22 करोड़ रुपये को शेयर पूंजी के रूप में परिवर्तित किया गया। हालांकि, बैंक ने इस राशि के वास्तविक स्रोत की व्याख्या नहीं की, जो प्रमोटर/पूर्व निदेशकों से संबंधित चार खातों से प्राप्त हुई थी।
साक्षी ने एक अन्य आर्डर को भी साझा किया जिसमें 31 मार्च 2013 की स्थिति की जांच में बैंक की पूंजी में 30.48 करोड़ रुपये की वृद्धि देखी गई। इसमें से 28.50 करोड़ रुपये प्रमोटरों/पूर्व निदेशकों के खातों के माध्यम से प्राप्त किए गए थे, जिनका वास्तविक स्रोत स्थापित नहीं किया गया।
साक्षी ने इन आरोपों के जरिए बीजेपी के शासन के तहत भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की ओर इशारा किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार को मामले की स्वतंत्र और पारदर्शी जांच करानी चाहिए।
साक्षी का यह आरोप निश्चित ही राजनीति के गलियारों में एक नई बहस को जन्म देगा, और यह देखने वाली बात होगी कि इस पर सरकार और संबंधित एजेंसियां किस प्रकार की कार्रवाई करती हैं।
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