वर्तमान समय में समाज में बढ़ती असमानता और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने की ज़रूरत पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। हाल के दिनों में कई घटनाओं ने हमें यह याद दिलाया है कि अगर अब हम एकजुट होकर बदलाव के लिए नहीं उठेंगे, तो कल हमारे साथ भी वही होगा जो आज दूसरों के साथ हो रहा है।
आम जनता की समस्याओं पर ध्यान देने की बजाय, अधिकांश समय हमारे समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों को नजरअंदाज किया जाता है। चाहे वह सरकारी नीतियों की असफलता हो या प्रशासन की उदासीनता, लोग अपनी समस्याओं को लेकर मौन रहना अधिक पसंद करते हैं। लेकिन यह मौन स्थिति में सुधार की कोई संभावना नहीं छोड़ता।
"आवाज़ उठाइए,,,"
— बेसिक शिक्षा: सूचना और सामग्री (@Info_4Education) August 11, 2024
वरना आज मेरी तो कल तेरी बारी है,
क्योंकि यही तो चल रही दुनियादारी है! pic.twitter.com/6cWvnHuXqY
एक नई कहावत बन चुकी है कि "आज मेरी तो कल तेरी बारी है," जो इस बात को स्पष्ट करती है कि यदि आज हम अपने अधिकारों और न्याय के लिए नहीं लड़े, तो कल हमारे साथ भी यही हो सकता है। समाज में बढ़ती असमानता और भ्रष्टाचार की शिकायतें सिर्फ व्यक्तिगत समस्याएं नहीं हैं, बल्कि ये सभी का भविष्य प्रभावित करती हैं।
उदाहरण के तौर पर, हाल ही में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्रों में विफलताएँ देखने को मिली हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षक और संसाधनों की कमी और सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकीय सेवाओं की कमी की वजह से आम आदमी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं को नजरअंदाज करने से न केवल वर्तमान पीढ़ी प्रभावित हो रही है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी यह समस्याएं बढ़ सकती हैं।
इसलिए, ज़रूरी है कि हम सभी एकजुट होकर इन मुद्दों पर अपनी आवाज़ उठाएं। यह सिर्फ हमारे व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि समाज के प्रत्येक सदस्य के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए है। अगर हम आज नहीं बोलेंगे, तो कल हमारी भी बारी आ सकती है।
समाज में सुधार के लिए हमें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए हम एक बेहतर समाज छोड़ सकें। "आवाज़ उठाइए, वरना आज मेरी तो कल तेरी बारी है," यह केवल एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक सच्चाई है जिसका सामना हमें अब करना होगा।