लखनऊ: Lucknow University के प्रतिष्ठित प्रोफेसर रविकांत ने हाल ही में एक गंभीर आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालयों और बड़े कॉलेजों में आरक्षित पदों पर महिला प्रोफेसर्स की भर्ती एक साजिश के तहत की जा रही है। उनके अनुसार, यह योजना इस उद्देश्य से बनाई गई है कि महिला प्रोफेसर नौकरी की सुरक्षा को लेकर अधिक चिंतित रहती हैं और सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर कम मुखर होती हैं।
प्रोफेसर रविकांत ने दावा किया कि वर्तमान समय में नब्बे प्रतिशत आरक्षित पदों पर केवल महिला प्रोफेसर्स की नियुक्ति की जा रही है, जबकि आरक्षित वर्ग के पुरुष प्रोफेसर्स की भर्ती बहुत सीमित कर दी गई है। उनके अनुसार, यह असंतुलन जानबूझकर बनाया गया है ताकि पुरुष प्रोफेसर्स की आवाज को दबाया जा सके, जो समाज और शिक्षा प्रणाली के महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं।
Lucknow University के प्रोफेसर @Profravikant79 ने बहुत भारी आरोप लगाया है,
— ANIL (@AnilYadavmedia1) August 3, 2024
प्रोफेसर रविकांत का कहना है कि यूनिवर्सिटीज और बड़े कॉलेज में अब आरक्षित पदों पर नब्बे फीसदी पदों पर सिर्फ महिला प्रोफेसर्स की ही भर्ती एक साजिश के तहत की जा रही है,
क्योंकि महिला प्रोफेसर नौकरी को… pic.twitter.com/YelhFix1N9
प्रोफेसर रविकांत के आरोप के अनुसार, महिला प्रोफेसर अपने कार्यस्थल पर स्थिरता और सुरक्षा के प्रति अधिक चिंतित रहती हैं और इस कारण वे अक्सर विवादास्पद मुद्दों पर चुप रहती हैं। इसके विपरीत, पुरुष प्रोफेसर आमतौर पर अधिक मुखर और आलोचनात्मक होते हैं, जो कि प्रशासनिक और नीतिगत निर्णयों के खिलाफ आवाज उठाते हैं। यह आरोप इस बात की ओर इशारा करता है कि यह रणनीति प्रशासन द्वारा जानबूझकर अपनाई गई है ताकि असहमति और आलोचना को कम किया जा सके।
इस मामले पर Lucknow University के प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, प्रोफेसर रविकांत के आरोप ने विश्वविद्यालय और शिक्षा के क्षेत्र में एक नया विवाद उत्पन्न कर दिया है। अगर ये आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल विश्वविद्यालय के प्रशासन की नीतियों को लेकर गंभीर सवाल उठाएगा, बल्कि पूरी शिक्षा प्रणाली में महिला और पुरुष प्रोफेसर्स के बीच के असंतुलन को भी उजागर करेगा।
इस मामले पर अब आगे की जांच और प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है, जो निश्चित रूप से इस विवाद के विभिन्न पहलुओं को और स्पष्ट करेगी।