नई दिल्ली, 1 अगस्त 2024: भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत हो गई है। देश के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों ने पहली बार 'अनवांटेड डाइबिटीज' (Unwanted Diabetes) की पहचान की है, जिससे डाइबिटीज के उपचार और प्रबंधन में महत्वपूर्ण बदलाव संभव हो सकते हैं।
'अनवांटेड डाइबिटीज' एक नई श्रेणी की डाइबिटीज है, जिसे सामान्य डाइबिटीज से अलग और पहचान में कठिन समझा जाता है। इसके लक्षण आमतौर पर धीमे और अस्पष्ट होते हैं, जिससे इसकी पहचान में समय लग सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रकार विशेष रूप से उन लोगों में पाया जाता है जो जीन और जीवनशैली से संबंधित कई जोखिम तत्वों से प्रभावित होते हैं।
भारत के प्रमुख चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, जैसे कि AIIMS और फोर्टिस, ने मिलकर इस नई डाइबिटीज की पहचान की प्रक्रिया को विकसित किया है। यह प्रक्रिया विभिन्न प्रकार के रक्त परीक्षण, जीनोम अनुक्रमण और जीवनशैली विश्लेषण पर आधारित है। इससे चिकित्सकों को इस बीमारी की सही पहचान और समय पर उपचार में सहायता मिलेगी।
डॉ. अर्चना शर्मा, AIIMS की प्रमुख एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, ने कहा, "यह नई पहचान प्रणाली हमारे लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे हम डाइबिटीज के जोखिम को पहले से पहचान कर सकते हैं और मरीजों को उचित समय पर उपचार देने में सक्षम होंगे।"
इस नई पहचान प्रणाली के अनुसार, 'अनवांटेड डाइबिटीज' के मरीजों को विशेष रूप से खानपान, शारीरिक गतिविधि और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जीवनशैली में सुधार और नियमित स्वास्थ्य जांच के माध्यम से इस नई श्रेणी की डाइबिटीज के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
भारत में डाइबिटीज के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है और इस नई पहचान प्रणाली से इसे नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। इस उपलब्धि से न केवल भारत, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी डाइबिटीज प्रबंधन में सुधार होने की संभावना है।
यह नई प्रणाली जल्द ही देश के अन्य अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में भी लागू की जाएगी, जिससे लाखों लोगों को लाभ होगा और भारत को डाइबिटीज के खिलाफ एक नई लड़ाई में मदद मिलेगी।