उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में फर्जी रेप केस का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें निशा सोनी और कसीम ने दो डॉक्टरों के खिलाफ रेप का आरोप लगाकर 10 लाख रुपए की उगाही की। बाद में, जब मामला कोर्ट में पहुंचा, तो निशा सोनी अपने बयान से मुकर गई। यह मामला एक गंभीर साजिश की ओर इशारा करता है, जहां ऐसे गैंग सक्रिय हैं जो फर्जी रेप के मामलों में लोगों को फंसाकर उनसे मोटी रकम वसूलते हैं।
अमरोहा जिले में रहने वाली निशा सोनी ने दो डॉक्टरों के खिलाफ रेप का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई थी। इस मामले में निशा ने दावा किया था कि इन डॉक्टरों ने उसके साथ शारीरिक शोषण किया। इस FIR के आधार पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों डॉक्टरों को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन, जांच के दौरान एक नया मोड़ आया जब निशा सोनी ने 10 लाख रुपए की मांग की।
इस मामले का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें निशा सोनी को बुर्के में और डॉक्टर कसीम को लाल टी-शर्ट में देखा जा सकता है। कसीम इस पूरे गैंग का सदस्य बताया जा रहा है, जिसने इन डॉक्टरों से पैसे लेने में मदद की थी। वीडियो में यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि कैसे पैसे की उगाही की जा रही है।
उत्तर प्रदेश के जिला अमरोहा में निशा सोनी 2 डॉक्टरों पर रेप की FIR कराती है। उनसे 10 लाख रुपए वसूलती है। फिर कोर्ट में रेप के आरोपों से मुकर जाती है।
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) August 26, 2024
Video : बुर्के में निशा सोनी है। पैसे लेने वाला लाल टीशर्ट में डॉक्टर कसीम है, जो इस गैंग में इन्वॉल्व है।
UP के हर जिले में ऐसा… pic.twitter.com/nDgDG2KRMI
पैसे मिलने के बाद, जब मामला कोर्ट में पहुंचा, तो निशा सोनी ने अपने बयान से पलटते हुए डॉक्टरों पर लगे आरोपों से मुंह मोड़ लिया। इस पूरे प्रकरण ने पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगा दिया है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे कुछ लोग न्याय प्रणाली का दुरुपयोग करके निर्दोष लोगों को फंसाते हैं और उनसे मोटी रकम ऐंठते हैं।
इस मामले ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है और इस तरह के अन्य मामलों की ओर भी इशारा किया है। सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऐसे कई गैंग सक्रिय हैं, जो इसी प्रकार की साजिशों को अंजाम देते हैं। ये गैंग पहले रेप के झूठे आरोप लगाते हैं, फिर पीड़ितों से धन वसूलते हैं। यदि पीड़ित पैसे देने में असमर्थ होते हैं, तो उन्हें जेल का सामना करना पड़ता है या बदनामी के डर से आत्महत्या कर लेते हैं।
इस घटना के बाद पुलिस और न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता और पारदर्शिता की मांग उठ रही है। यह जरूरी है कि पुलिस ऐसे मामलों में गहन जांच करे ताकि निर्दोष लोग इन साजिशों के शिकार न बनें और असली दोषियों को सजा मिले। समाज में न्याय की स्थापना के लिए ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई आवश्यक है।