हाल ही में एक रेलवे टिकट चेकर की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें वह मुस्लिम समुदाय के लोगों को ट्रेन में नमाज पढ़ने के लिए फटकार लगा रहे हैं। यह घटना एक महत्वपूर्ण विवाद का विषय बन गई है, जिसने रेलवे यात्रा के दौरान धार्मिक प्रथाओं के पालन पर सवाल खड़ा किया है।
घटना उस समय घटी जब एक ट्रेन में यात्रा कर रहे मुस्लिम यात्री ट्रेन के भीतर नमाज पढ़ रहे थे। टिकट चेकर ने इसे गंभीरता से लेते हुए उन्हें चेतावनी दी कि ट्रेन का उपयोग यात्रा के लिए किया जाता है, न कि धार्मिक प्रथाओं के पालन के लिए। वीडियो में टिकट चेकर को यह कहते हुए सुना जा सकता है, "गाड़ी का मजाक बना दिया है, ये रेलगाड़ी है, नमाज गाड़ी नहीं है।"
नमाज बंद करो यहां पर, ये रेलगाड़ी है, नमाज़ गाड़ी नहीं है। pic.twitter.com/Pcyd35xBHo
— Panchjanya (@epanchjanya) August 13, 2024
टिकट चेकर ने आगे कहा, "आपलोगों को शर्म नहीं आती है? आपके कारण कितने लोगों को दिक्कत होती है। नमाज बंद करो यहां पर, ये रेलगाड़ी है, नमाज़ गाड़ी नहीं है।" उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर यात्री नमाज नहीं बंद करते हैं, तो वह तुरंत रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) को बुलवा देंगे।
इस बयान ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। कई लोग टिकट चेकर की इस हरकत को धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि रेलवे की सुविधा और अन्य यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इस तरह की कार्रवाई जरूरी है।
धार्मिक प्रथाओं और सार्वजनिक स्थानों पर उनके पालन को लेकर विभिन्न मत हैं। जहां एक ओर कुछ लोगों का मानना है कि सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक गतिविधियों का पालन अन्य यात्रियों की सुविधा के साथ तालमेल बैठाना चाहिए, वहीं दूसरी ओर कई लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के रूप में देख रहे हैं।
रेलवे विभाग ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वे इस मामले की जांच करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसी समस्याओं का समाधान उचित तरीके से किया जाए। उन्होंने यह भी कहा है कि यात्रियों को यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा से बचाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
यह घटना भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करती है - सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक प्रथाओं का पालन किस हद तक स्वीकार्य है और इससे संबंधित नियम क्या होने चाहिए।