नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर उठते सवालों के बीच, पत्रकार और सामाजिक टिप्पणीकार दिलीप मंडल ने एक विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश धनन्जय यशवंत चंद्रचूड़ से सवाल किया कि क्या कभी किसी ने यह सवाल उठाया है कि सुप्रीम कोर्ट में 50% से ज़्यादा जज ब्राह्मण क्यों हैं? मंडल का कहना है कि पिछले 7 वर्षों में एक भी ठाकुर जज की नियुक्ति नहीं की गई, और केवल एक बनिया जज है, लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं हुई।
मंडल ने अपने बयान में कहा, "क्या हमने कभी पूछा कि ब्राह्मणों के अलावा अन्य जातियों को जज बनने का मौका क्यों नहीं मिल रहा है? क्या किसी ने पूछा है कि सवर्णों का EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) कोटा केवल ब्राह्मणों तक ही सीमित क्यों रहता है?" उन्होंने यह भी कहा कि वे इस विषय पर चुप रहेंगे, लेकिन सवाल उठाना महत्वपूर्ण है।
मिस्टर चंद्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट में 50% से ज़्यादा जज ब्राह्मण हैं। क्या हमने कभी कहा कि 7 साल से एक भी ठाकुर जज क्यों नहीं बनाया कोलिजियम ने? क्या हमने पूछा कि सिर्फ एक बनिया जज क्यों है?
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 4, 2024
क्या हमने कभी कहा कि सवर्णो का EWS कोटा सिर्फ ब्राह्मण खा लेते हैं?
मैं नहीं बोलूँगा ये…
मंडल के बयान ने सुप्रीम कोर्ट की नियुक्ति प्रक्रियाओं पर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। उनका यह आरोप न्यायपालिका में जातिगत असंतुलन और पक्षपात को लेकर चिंता जताता है। इसके साथ ही, मंडल ने यह भी पूछा कि क्या जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित की जा रही है, या फिर यह प्रक्रिया भी जाति आधारित पूर्वाग्रहों का शिकार हो रही है।
हालांकि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के कोलिजियम की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। जजों की नियुक्ति के मामले में पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित करने की दिशा में क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना बाकी है। इस विवाद ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की जातिगत पृष्ठभूमि पर एक बार फिर बहस को हवा दे दी है, और इससे न्यायपालिका में सुधार की आवश्यकता को लेकर नए सवाल खड़े हो गए हैं।
मंडल का यह बयान, न्यायपालिका की नियुक्ति प्रक्रिया में जातिगत असंतुलन की ओर इशारा करता है और समाज में समानता और न्याय की दिशा में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करता है।