70 वर्षीय मंजू लता पांडे पिछले चार साल से एक वृद्ध आश्रम में रह रही हैं। एक समय वह अपने बेटे की खुशहाल जिंदगी की कल्पना करती थीं, लेकिन अब वह उसी बेटे की वजह से बेघर हो गई हैं। मंजू लता ने बताया कि उनका बड़ा बेटा, जो शिक्षा विभाग में एलडीसी के पद पर कार्यरत है, ने चालाकी से उनका मकान अपने नाम करा लिया और फिर उन्हें घर से बाहर निकाल दिया।
मंजू लता कहती हैं, "मैंने अपने बेटे को अंग्रेजी पढ़ाई, उसे अच्छी शिक्षा दी, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। उसने मुझे रात के नौ बजे घर से निकाल दिया। अब चार साल हो गए हैं, मुझे वृद्ध आश्रम में रहते हुए।"
मंजू लता का छोटा बेटा बीकानेर में रहता है, लेकिन उसे अपनी मां की वर्तमान स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वह आश्रम में रहने को मजबूर हैं और इस बात का दुख है कि जिस बेटे के लिए उन्होंने अपनी सारी जिंदगी समर्पित कर दी, उसने ही उन्हें इस तरह से छोड़ दिया।
माता का नाम मंजू लता पांडे है 4 साल से वृद्ध आश्रम में रहने को मजबूर है बेटे ने चालाकी से मकान अपने नाम कर. मां को घर से बाहर निकाल दिया, बेटा शिक्षा विभाग में एलडीसी है पढ़ा लिखा कर कोई फायदा नहीं हुआ । हिंदू समाज में यह घटना दिन पर दिन बढ़ते जा रही! pic.twitter.com/irOlrSqnZv
— Krantikari parinda Commentary (@99parinda) August 23, 2024
हिंदू समाज में इस तरह की घटनाएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। माता-पिता को अपने ही बच्चों द्वारा उपेक्षित और बेघर किए जाने के मामले सामने आ रहे हैं, जो समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है। वृद्धों का सम्मान और उनके प्रति कर्तव्य को निभाने की संस्कृति, जो हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी, अब कमजोर होती नजर आ रही है। यह समय है जब समाज को इन घटनाओं पर विचार करना चाहिए और ऐसे मामलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी बुजुर्ग इस तरह की स्थिति में न पहुंचे।
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