प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से उनकी सरकार ने भारत को एक वैश्विक शक्ति बनाने का दावा किया है। मोदी ने बार-बार कहा था कि ऐसा भारत बनाएंगे, जहां अमेरिका और अन्य विकसित देशों के लोग भी बसने आएंगे। लेकिन अब उनके इस दावे की खुली पोल खुल गई है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अमीर करोड़पति और पूंजीपति वर्ग तेजी से भारतीय नागरिकता छोड़ रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में अकेले 2 लाख 16 हजार से ज्यादा भारतीय नागरिकता छोड़ चुके हैं। इसी तरह, मोदी के पिछले दस वर्षों के कार्यकाल में, कुल 15 लाख से ज्यादा लोग भारतीय नागरिकता का परित्याग कर चुके हैं। इस आंकड़े ने सरकार की नीतियों और भारत की आर्थिक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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— 𝙈𝙪𝙧𝙩𝙞 𝙉𝙖𝙞𝙣 (@Murti_Nain) August 4, 2024
मोदी के विश्वगुरु होने की खुली पोल, अमीर करोड़पति पूंजीपति लोग छोड़ रहे है भारतीय नागरिकता,
मोदी ने दावा किया था कि ऐसा भारत बनाऊँगा कि अमेरिका वाले भारत में रहने के लिए आएँगे,
पर बीते साल 2023 में 2 लाख 16 हजार से ज्यादा लोग और मोदी के दस साल के कार्यकाल में… pic.twitter.com/170AeAWnxl
भारत में उच्च आय वाले वर्ग के लोग नागरिकता छोड़कर अन्य देशों में बसने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। यह ट्रेंड भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। इन अमीर वर्ग के लोगों के देश छोड़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, क्योंकि ये लोग उच्च करदाता होते हैं और उनके छोड़ने से सरकारी राजस्व में कमी आ रही है।
सरकार द्वारा किए गए दावों और वास्तविकता के बीच का यह अंतर भारत के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने पर गहरा असर डाल रहा है। यह स्थिति सरकार की योजनाओं और नीतियों की प्रभावशीलता पर सवाल खड़ा करती है। ऐसे में, मोदी के 'विश्वगुरु' बनने के सपने की सच्चाई पर विचार करने की जरूरत है।