मोदी का बाबा साहेब के संविधान पर एक और हमला, NCERT की किताबों में से संविधान की प्रस्तावना गायब करवा दी गई: डॉ. राजेश पाठक

 

डॉ. राजेश पाठक कहते है-हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के दौरान, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं ने बार-बार दावा किया कि अगर एनडीए गठबंधन को 400 सीटें मिल गईं, तो वे संविधान को बदल देंगे। इस बयान को लेकर बीजेपी के प्रत्याशी चुनावी सभाओं में अक्सर प्रचार करते रहे कि इस बार मोदी जी 400 सीटों के साथ संविधान को बदल डालेंगे। इसके जवाब में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के नेताओं ने संविधान की रक्षा की बात की। राहुल गांधी, कांग्रेस के नेता, पूरे चुनाव अभियान के दौरान संविधान की एक छोटी सी किताब हाथ में लेकर लोगों को यह संदेश देते रहे कि अगर संविधान को बचाना है, तो नरेंद्र मोदी और बीजेपी से दूर रहिए।

हालांकि एनडीए की सरकार बन गई है, लेकिन संविधान को लेकर जो खतरे का अंदेशा था, वह अब और भी स्पष्ट होता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद के सत्र की शुरुआत में संविधान की मोटी किताब को प्रणाम करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे संविधान की प्रस्तावना को किताबों से हटा दिया गया है।

 

संविधान की प्रस्तावना की अनुपस्थिति:

एनसीईआरटी ने हाल ही में तीसरी और छठी कक्षा की किताबों से संविधान की प्रस्तावना हटा दी है। इस पर ‘द टेलीग्राफ’ ने खुलासा किया है कि एनसीईआरटी ने किताबों की समीक्षा के नाम पर कई किताबों से संविधान की प्रस्तावना हटा दी है। पहले जिन किताबों में यह प्रस्तावना प्रकाशित होती थी, अब वे छपने से गायब हो गई हैं। 

एनसीईआरटी द्वारा की गई किताबों की संशोधन:

2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, एनसीईआरटी ने किताबों को रिवाइज किया। इसमें 2005-06 और 2007-08 के सत्र की कुछ किताबों को रिवाइज किया गया। जिन किताबों में पहले संविधान की प्रस्तावना शामिल थी, उनके नाम हैं:

- कक्षा 6 की किताबें: "दूरवा", "हनीस्कूल", "साइंस और पर्यावरण", "अवर पास्ट भाग वन", "अवर सोशल एंड पॉलिटिकल लाइफ भाग एक", "द अर्थ अवर हैबिटेट"।

- नई किताबें: "क्यूरियोसिटी" (साइंस) और "मलहार" (हिंदी) में संविधान की प्रस्तावना शामिल की गई है। 

- अन्य किताबें: पर्यावरण अध्ययन पर "एक्सप्लोरिंग सोसाइटी इंडिया एंड बियोंड" में से प्रस्तावना हटा दी गई है। 

कक्षा 3 की हिंदी, अंग्रेजी और गणित की किताबों, साथ ही "वर्ल्ड अराउंड अस" से भी संविधान की प्रस्तावना हटा दी गई है। 

संविधान की प्रस्तावना के महत्व पर बहस:

कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने इस बदलाव पर सवाल उठाया है, यह कहते हुए कि एनसीईआरटी अब आरएसएस की शाखा की तरह काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद ध्वंस की घटनाओं को भी किताबों से हटा दिया गया था। इस पर टीएमसी के सांसद साकेत गोखले ने टिप्पणी की कि अगर दंगों के बारे में पढ़ने से बच्चों में हिंसा पनपती है, तो विश्व युद्धों के बारे में भी पढ़ाना नहीं चाहिए।

संविधान की प्रस्तावना को लेकर सामाजिक मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ:

सोशल मीडिया पर, मुरली धरण गोपाल ने लिखा है कि संविधान की प्रस्तावना आरएसएस और बीजेपी के लिए एक दुष्वप्न है, इसलिए इसे किताबों से हटा दिया गया है। राहुल सीकर ने सवाल उठाया कि क्या एनसीईआरटी की कमेटी सोचती है कि संविधान की प्रस्तावना बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

संविधान की प्रस्तावना का पाठ:

संविधान की प्रस्तावना, जिसे संविधान की आत्मा माना जाता है, इस प्रकार है:

“हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाज पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को न्याय सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक विचार अभिव्यक्ति विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ईस्वी को तत द्वारा इस संविधान को अंगीकृत अधिनियमित और आत्माप्रियनंद उत्व।”

अब एनसीईआरटी की किताबों में से संविधान की प्रस्तावना को हटा दिया गया है, जिससे बच्चे इस महत्वपूर्ण दस्तावेज से वंचित रह जाएंगे।

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