महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने बुधवार को सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के गिरने पर गहरा खेद व्यक्त किया। यह प्रतिमा पिछले साल स्थापित की गई थी, लेकिन हाल ही में यह गिर गई, जिससे राज्य भर में चिंता और नाराजगी फैल गई है।
इस घटना के बाद अजीत पवार ने कहा, "शिवाजी महाराज हमारे देवता हैं, उनकी प्रतिमा के गिरने के लिए मैं महाराष्ट्र के 13 करोड़ लोगों से माफी मांगता हूं।" पवार की इस माफी के बावजूद, इस घटना ने राज्य में राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है।
छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के राजकोट किले, मालवन में गिरने के हालिया घटनाक्रम के बाद शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महायूति सरकार की कड़ी आलोचना की है। ठाकरे ने 1 सितंबर को मुंबई में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) द्वारा विरोध मार्च की घोषणा की है, जिसमें सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
यह 35 फुट ऊंची प्रतिमा 17वीं सदी के मराठा साम्राज्य के संस्थापक की है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 4 दिसंबर को अनावरण किया था। सोमवार को यह प्रतिमा गिर गई, जिससे पूरे राज्य में हलचल मच गई है।
उद्धव ठाकरे ने इस घटना को लेकर एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा, "राज्य में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है और महिलाओं के खिलाफ हिंसा में वृद्धि हो रही है। इन मुद्दों पर तीनों पार्टियों के नेताओं के बीच चर्चा हो रही है, लेकिन शिवाजी महाराज की प्रतिमा के गिरने और उसके बाद के बयानों ने सरकार की विफलताओं को उजागर कर दिया है।"
ठाकरे ने प्रतिमा के गिरने के कारण को लेकर दी जा रही सफाई को "बेशर्म" करार दिया। उन्होंने महाराष्ट्र के मंत्री दीपक केसरकर की टिप्पणी की भी आलोचना की, जिसमें केसरकर ने कहा था कि प्रतिमा के गिरने से कुछ सकारात्मक हो सकता है। ठाकरे ने सवाल उठाया, "समुद्र तट पर होने के बावजूद राज्यपाल की टोपी नहीं हिली, तो तेज हवा के कारण एक प्रतिमा कैसे गिर सकती है?"
इस घटना के बाद, शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ताओं और बीजेपी नेता नारायण राणे के समर्थकों के बीच घटना स्थल पर झड़पें भी हुईं, जिससे तनाव और बढ़ गया है।
इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र में राजनीतिक तापमान बढ़ता जा रहा है, और आने वाले दिनों में यह मामला और भी गरमाता हुआ दिख सकता है।