नई दिल्ली: दिल्ली के कुतुबमीनार के एक पिलर में भगवान बुद्ध की मूर्ति की खोज ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। ट्विटर पर एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें एक व्यक्ति ने कुतुबमीनार के पिलर पर भगवान बुद्ध की मूर्ति को स्पष्ट रूप से देखा और ज़ूम करके भी दिखाया है। यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है, और अब सवाल उठ रहा है कि कुतुबमीनार में यह मूर्ति कैसे आई और क्या कुतुबमीनार को बनाने के लिए किसी बुद्ध विहार को तोड़ा गया था।
वीडियो में व्यक्ति ने बताया कि जब उसने कुतुबमीनार का निरीक्षण किया, तो उसकी नजर पिलर पर बनी एक मूर्ति पर पड़ी, जो भगवान बुद्ध की प्रतीत होती है। यह मूर्ति स्पष्ट रूप से पिलर की सतह पर उकेरी गई है, और यह सवाल उठाता है कि क्या यह कुतुबमीनार के निर्माण के दौरान किसी धार्मिक स्थल से संबंधित है।
अब करे तो क्या करे..... बोले तो क्या बोले❓
— 👻 भटकती परमात्मा 👻 (@mahakaalkabaap) August 9, 2024
बुद्ध ही बुद्ध है...
चारों तरफ... हर तरफ...
नमो बुद्धाय: 🙏 pic.twitter.com/6Eo0oupSyD
इस वीडियो के वायरल होते ही, इतिहासकारों और पुरातत्वविदों ने इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि कुतुबमीनार के निर्माण का इतिहास विभिन्न धार्मिक परंपराओं के मिश्रण का परिणाम हो सकता है। कुतुबमीनार, जो कि एक प्राचीन इस्लामी स्मारक है, 12वीं सदी में कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा निर्मित किया गया था, लेकिन इसके निर्माण में पहले के हिंदू और जैन धार्मिक स्थलों के पत्थरों का उपयोग किया गया था।
सरकारी अधिकारियों ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच के आदेश दिए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हम इस विवाद की निष्पक्ष जांच करेंगे और इस बारे में सबूत इकट्ठा करेंगे। किसी भी ऐतिहासिक या धार्मिक स्थल के संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।"
साथ ही, कुछ लोग इस घटना को सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विविधता के प्रतीक के रूप में देख रहे हैं, जो विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के मिश्रण को दर्शाता है। इस मुद्दे पर व्यापक जांच और निष्कर्षों के आधार पर ही कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा।
इस बीच, सोशल मीडिया पर लोग इस रहस्यमय मूर्ति के बारे में अलग-अलग राय और थ्योरी पेश कर रहे हैं। इस घटना की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच का इंतजार किया जा रहा है, ताकि ऐतिहासिक तथ्यों को सही तरीके से सामने लाया जा सके।