गिरिडीह, झारखंड: झारखंड के गिरिडीह जिले के धनवार क्षेत्र में एक हिंदू परिवार को जिहादी ताकतों द्वारा इस्लाम अपनाने की धमकी मिलने और गंभीर उत्पीड़न का सामना करने की खबरें सामने आई हैं। परिवार के सदस्य इस बात का आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें धार्मिक आधार पर जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं और उनकी महिलाओं के कपड़े भी फाड़े गए हैं।
घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए परिवार ने राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिवार के सदस्यों का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों से उनके खिलाफ लगातार धमकियां और उत्पीड़न बढ़ता जा रहा है, लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
गिरिडीह, झारखंड: धनवार में एक हिंदू परिवार को जिहादी ताकतों द्वारा इस्लाम अपनाने या मौत का सामना करने की धमकी दी जा रही है, परिवार पर कथित तौर पर उत्पीड़न किया जा रहा है, जिसमें महिला के कपड़े फाड़ना भी शामिल है, परिवार ने राज्य सरकार पर निष्क्रियता का आरोप लगाया गया है। pic.twitter.com/bZ1UyfsBMm
— हम लोग We The People 🇮🇳 (@ajaychauhan41) July 31, 2024
परिवार की एक सदस्य ने बताया, "हमारे घर के बाहर लगातार भीड़ लगती है, जो हमें धमकाती है। वे हमें इस्लाम अपनाने का दबाव डाल रहे हैं, और यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो हमें मौत की धमकी दी जाती है।" उन्होंने कहा कि उत्पीड़न की इस स्थिति के बावजूद प्रशासन ने कोई सुरक्षा उपाय नहीं किए हैं और उन्हें पूरी तरह से असुरक्षित महसूस हो रहा है।
स्थानीय पुलिस ने इस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की है और मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन पीड़ित परिवार का कहना है कि पुलिस की कार्रवाइयां काफी धीमी और असंतोषजनक हैं। परिवार का आरोप है कि उन्हें न्याय दिलाने में प्रशासनिक उदासीनता का सामना करना पड़ रहा है और उनकी सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
इस बीच, राज्य के सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया है और मांग की है कि सरकार और प्रशासन इस मामले की गंभीरता को समझें और पीड़ित परिवार को सुरक्षा प्रदान करें। वे प्रशासन से यह भी अपील कर रहे हैं कि उत्पीड़न की इस स्थिति में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की जाए।
धनवार में हो रहे इस धार्मिक उत्पीड़न के मामले ने क्षेत्र के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित किया है और यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर कितना सजग और सक्रिय हैं।