पिछले चार वर्षों में लागू हुए EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) रिजर्वेशन को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। प्रोफेसर दिलीप मंडल ने हाल ही में एक ट्वीट के माध्यम से यह जानकारी साझा की कि इस अवधि में ब्राह्मणों को 74 IAS अधिकारी मिले हैं, जबकि क्षत्रियों को मात्र 13 IAS अधिकारी प्राप्त हुए हैं, जबकि क्षत्रियों की आबादी ब्राह्मणों की तुलना में लगभग दोगुनी है। मंडल ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह स्पष्ट होता है कि EWS कोटे का लाभ मुख्यतः ब्राह्मणों को ही मिल रहा है।
4 वर्षों में EWS रिजर्वेशन से बने IAS:
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 5, 2024
ब्राह्मण- 74
ठाकुर यानी क्षत्रिय- 13
क्षत्रियों की आबादी ब्राह्मणों से डबल है। बेचारे ठाकुर साहब बचा-खुचा खा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में तो उनको जूठन भी नहीं मिलती। 34 में एक जज नहीं।
समर्थन करें: EWS में 6% अलग से ठाकुरों के लिए चाहिए।
मंडल जी ने आगे आरोप लगाया कि क्षत्रियों को न्याय प्रणाली में भी उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में 34 न्यायाधीशों में एक भी क्षत्रिय नहीं है, जिससे न्याय प्रणाली पूरी तरह से ब्राह्मणों के कब्जे में प्रतीत होती है। इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने सुझाव दिया है कि क्षत्रियों को EWS कोटे से अलग 6 प्रतिशत रिजर्वेशन मिलना चाहिए।
ब्राह्मणों और क्षत्रियों के बीच इस तरह की असमानता की ओर इशारा करते हुए, मंडल जी ने यह भी कहा कि EWS कोटे का लाभ सही तरीके से वितरण नहीं हो रहा है, और इसे सुधारने की आवश्यकता है। उनका यह भी मानना है कि इससे न केवल सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जा सकेगा, बल्कि एक अधिक संतुलित और निष्पक्ष प्रणाली स्थापित की जा सकेगी।
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया स्वरूप, कुछ समाजशास्त्रियों और राजनीतिक विश्लेषकों ने भी विचार व्यक्त किए हैं कि सरकारी योजनाओं और कोटे की नीति में सुधार की आवश्यकता है, ताकि समाज के विभिन्न वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। यह बहस आने वाले समय में नीति निर्माताओं और समाजशास्त्रियों के बीच गहन चर्चा का विषय बन सकती है।