ढाका: कट्टरपंथी संगठन हिफाजत ए इस्लाम के उपाध्यक्ष मुहिउद्दीन रब्बानी ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान देकर देशभर में हड़कंप मचा दिया है। उन्होंने कहा कि अगर बांग्लादेश में 'हुकूमत ए इस्लाम' लागू हो जाए, तो देश में वास्तविक इंसाफ कायम हो जाएगा। उनका कहना है कि देश में कानून और संविधान के बजाय इस्लामी नियमों के आधार पर शासन होना चाहिए।
रब्बानी ने एक सार्वजनिक सभा में कहा, "हमारा मकसद देश में शरिया निजाम को लागू करना है। जब तक इस्लामी शासन स्थापित नहीं होता, तब तक देश में न्याय और शांति नहीं आ सकती।" उन्होंने जोर देकर कहा कि इस्लामी कानून ही देश की समस्याओं का समाधान कर सकता है और इसके लिए जरूरी है कि बांग्लादेश को 'हुकूमत ए इस्लाम' के अधीन लाया जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि देशभर में सभी हिंदू मूर्तियों को तोड़ दिया जाना चाहिए। "हमारे देश में इस्लामिक मूल्यों के खिलाफ किसी भी चीज को सहन नहीं किया जाएगा। देश में शरिया का शासन लाना हमारा उद्देश्य है और इसमें कोई समझौता नहीं होगा।" उनके इस बयान के बाद देशभर में विभिन्न धर्मों के बीच तनाव और बढ़ सकता है।
देश में इस्लामी निजाम लाएंगे!
— Panchjanya (@epanchjanya) August 18, 2024
सभी हिन्दू मूर्तियों को तोड़ देना चाहिए!
शरिया निजाम लागू करना है हमारा मकसद।
देश में 'हुकूमत ए इस्लाम' कायम हो जाए तो देश में इंसाफ कायम हो जाएगा।
कट्टरपंथी संगठन हिफाजत ए इस्लाम के उपाध्यक्ष मुहिउद्दीन रब्बानी ने दो टूक कहा कि बांग्लादेश में… pic.twitter.com/hOa4E3nv9T
रब्बानी का यह बयान बांग्लादेश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, जहां धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक सहिष्णुता को संवैधानिक रूप से संरक्षित किया गया है। इस बयान के बाद देशभर में प्रतिक्रिया तेज हो गई है।
विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने रब्बानी के इस बयान की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि इस प्रकार के बयान से देश की सांप्रदायिक सद्भावना को नुकसान पहुंचेगा और धार्मिक हिंसा को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार ने इस बयान पर गंभीरता से विचार करते हुए रब्बानी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का संकेत दिया है। देश के विभिन्न हिस्सों में इस बयान के विरोध में प्रदर्शन भी होने की संभावना है।
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