बांग्लादेश के समुद्र में हाल ही में प्राकृतिक गैस का एक बड़ा भंडार मिला है, जो देश के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो सकता है। हालांकि, इस महत्वपूर्ण खोज के साथ ही एक गंभीर और विवादास्पद मामला भी उभर कर सामने आया है। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चीन के साथ इस गैस के उत्पादन के लिए एक समझौता कर लिया है, जिसने देश और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंताओं को जन्म दिया है।
प्राकृतिक गैस का विशाल भंडार
बांग्लादेश ने इस साल मई में बंगाल की खाड़ी के 24 ब्लॉक्स में तेल और गैस की खुदाई के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर जारी किए थे। इस टेंडर प्रक्रिया में कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भाग लिया, जिनमें भारत की ओएनजीसी, चीन की क्नूक, और अमेरिकी कंपनी एक्सॉन मोबिल शामिल थीं। इस प्रक्रिया के दौरान, बांग्लादेश के समुद्र में एक विशाल प्राकृतिक गैस का भंडार पाया गया, जिसकी संभावनाएं काफी उज्ज्वल मानी जा रही हैं।
शेख हसीना का चीन के साथ विवादास्पद समझौता
11 जुलाई को शेख हसीना ने चीन के साथ एक रणनीतिक समझौता किया, जो न केवल बांग्लादेश की सुरक्षा को ध्यान में रखता है, बल्कि चीन को बांग्लादेश के गैस भंडार के उत्पादन का अधिकार भी देता है। इस समझौते के तहत, चीन की कंपनी क्नूक को बांग्लादेश के प्राकृतिक गैस के उत्पादन का ठेका मिला है, जबकि भारतीय ओएनजीसी और अमेरिकी एक्सॉन मोबिल को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया है।
ये विस्फोटक जानकारी है।
— M.M. Dhera(Attorney at Law) (@AdvocateDhera) August 13, 2024
बांग्लादेश के समुद्र में प्राकृतिक गैस का बड़ा भंडार मिला है।
इससे भी खतरनाक बात यह कि अपदस्थ पीएम शेख हसीना चीन के साथ इस गैस के उत्पादन का समझौता कर चुकी हैं।
समझौता हसीना सत्ता की कीमत पर हुआ है। यानी चीन को गैस चाहिए और हसीना को रिटायरमेंट के बाद… pic.twitter.com/H5JQbezP1U
समझौते के पीछे की राजनीति
इस समझौते ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। शेख हसीना के आलोचकों का कहना है कि यह समझौता हसीना की सत्ता की कीमत पर हुआ है। चीन को बांग्लादेश की गैस चाहिए थी, और बदले में हसीना को रिटायरमेंट के बाद शानदार जिंदगी की गारंटी दी गई है। इस पूरे घटनाक्रम में, यह आरोप लगाया जा रहा है कि शेख हसीना ने अपने निजी स्वार्थों के चलते राष्ट्रीय हितों को पीछे छोड़ दिया है।
चीन की रणनीतिक स्थिति
चीन के लिए बांग्लादेश का यह गैस भंडार अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इससे पहले चीन म्यांमार के पश्चिमी तट से प्राकृतिक गैस को पाइपलाइन के जरिए अपने युन्नान प्रांत तक लाता था। लेकिन अब, बांग्लादेश में मिले इस बड़े भंडार के बाद, चीन को सिर्फ पाइपलाइन को आगे बढ़ाने की जरूरत है। इसके तहत, चीन सेंट मार्टिन द्वीप पर अपना बेस बनाकर गैस खोदने का काम करेगा, जिससे उत्तरी बंगाल से मलक्का जलडमरूमध्य तक चीन का प्रभाव बढ़ेगा।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं और चिंताएं
इस समझौते के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। सीआईए ने शेख हसीना को सलाह दी है कि वे भारत में शरण लें या अपने देश वापस लौटने का मार्ग तलाशें। यह समझौता न केवल बांग्लादेश और चीन के बीच के संबंधों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि भारत और अमेरिका के लिए भी चिंता का विषय बन गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चीन का मंसूबा पूरा होता है तो यह क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। भारत, जो पहले से ही चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में तनाव का सामना कर रहा है, इस घटनाक्रम को लेकर सतर्क है। अगर चीन अपने उद्देश्यों में सफल हो जाता है, तो क्षेत्र में अस्थिरता और बढ़ सकती है, और भारत के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन सकती है।
इस स्थिति में, बांग्लादेश के भविष्य और क्षेत्रीय राजनीति पर इसके प्रभावों को लेकर अभी भी कई सवाल बने हुए हैं। शेख हसीना का यह समझौता देश के हितों के लिए कितना सही है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।