लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले के निवासी पूर्व सैन्यकर्मी सौरव शर्मा को लखनऊ की NIA स्पेशल कोर्ट ने पाकिस्तान से जुड़े एक जासूसी मामले में दोषी ठहराया है। कोर्ट ने शर्मा को भारतीय दंड संहिता (IPC), विदेशी अधिनियम (UA(P) Act), और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत सज़ा सुनाई है। इन सज़ाओं में अधिकतम 5 साल की जेल और जुर्माना शामिल है। सभी सज़ाएं एक साथ चलेंगी। इसके अलावा, कोर्ट ने शर्मा पर 22,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
सौरव शर्मा, जिनको मेडिकल आधार पर सेना से निकाल दिया गया था, ने बाद में पाकिस्तान की खुफ़िया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने का आरोप स्वीकार किया। जांच के दौरान पता चला कि शर्मा ने ISI की कथित एजेंट नेहा शर्मा को भारतीय सेना के गोपनीय दस्तावेज़ और आंकड़े भेजे थे। इसके साथ ही, सौरव की पत्नी पूजा सिंह के खाते में विदेश से हज़ारों रुपये भेजे जाने के सबूत भी मिले थे। शर्मा के मोबाइल में कई गोपनीय दस्तावेज़ पाए गए थे, जो जांच के दौरान महत्वपूर्ण साबित हुए।
यूपी : लखनऊ NIA कोर्ट ने भारतीय सेना के पूर्व जवान सौरभ शर्मा को जासूसी के आरोप में दोषी पाते हुए 5 साल की सजा सुनाई। 8 जनवरी 2021 को ATS ने सौरभ को हापुड़ से गिरफ्तार किया था। सौरभ ने भारतीय सेना में रहते हुए वहां के प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्स व फोटो ISI को भेजे थे। pic.twitter.com/gTxne9MONM
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) August 29, 2024
सौरव शर्मा को जनवरी 2021 में अनस याकूब के साथ गिरफ्तार किया गया था। अनस याकूब गुजरात का निवासी है। NIA ने 5 फरवरी 2021 को यूपी एटीएस से दोनों आरोपियों की कस्टडी ली थी और उनके खिलाफ केस दर्ज किया था। NIA ने दोनों आरोपियों के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की थी।
सौरव शर्मा की जासूसी की गतिविधियों ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को चिंता में डाल दिया था। जांच में पता चला कि शर्मा ने ISI के लिए भारतीय सेना की संवेदनशील सूचनाएं इकट्ठा की थीं और उन्हें विदेशी एजेंटों के साथ साझा किया था। इसके परिणामस्वरूप, कोर्ट ने उनके खिलाफ कठोर सज़ा सुनाई है, जो देश की सुरक्षा के प्रति उनके गंभीर अपराध को उजागर करती है।
इस मामले ने सुरक्षा और जासूसी के मुद्दे पर एक बार फिर से चर्चा को जन्म दिया है, खासकर उन पूर्व सैन्यकर्मियों की भूमिका के बारे में जिनका नाम सुरक्षा से जुड़े मामलों में सामने आता है। यह मामले की गंभीरता और न्यायिक प्रक्रिया की गति को दर्शाता है, जो देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों में संवेदनशील और तत्पर रहती है।