मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र के किसानों ने सोयाबीन की घटती कीमतों को लेकर अपनी नाराज़गी जाहिर की है। किसानों का कहना है कि 'पीला सोना' कहे जाने वाले सोयाबीन की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के आस-पास भी नहीं आ रही हैं, जिससे वे अत्यधिक परेशान हैं।
इस क्षेत्र में सोयाबीन पिछले कई वर्षों से प्रमुख खरीफ फ़सल रही है, लेकिन सरकार की नीतियों के कारण किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान में मंडियों में सोयाबीन की कीमत ₹4,000 प्रति क्विंटल के आसपास चल रही है, जो खेती की लागत को भी पूरा नहीं कर पा रही है।
माननीय कृषि मंत्री, मैं आपको मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र के किसानों की बढ़ती नाराज़गी के बारे में सूचित करना चाहता हूं, जो 'पीला सोना' कहे जाने वाले सोयाबीन की घटती क़ीमतों से उत्पन्न हुई है। इस क्षेत्र के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के आस-पास भी दाम न मिलने से… pic.twitter.com/VdCLjOfybI
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) August 30, 2024
किसानों का कहना है कि खाद, दवाई, मज़दूरी जैसी खेती से जुड़ी चीजों की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हो गई है, लेकिन उनकी फ़सल का मूल्य नहीं बढ़ा है। उनकी मांग है कि सोयाबीन की न्यूनतम कीमत प्रति क्विंटल ₹6,000 की जाए, ताकि उनकी लागत और मेहनत की भरपाई हो सके।
किसानों ने सरकार से अपील की है कि वह इस समस्या पर तुरंत कार्रवाई करे और सोयाबीन की कीमतों को स्थिर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए। नई सोयाबीन की फ़सल 25-30 दिनों में आने वाली है, जिससे यह समस्या और भी गंभीर हो गई है।
किसानों का कहना है कि सरकार की त्वरित कार्रवाई न केवल उन्हें आर्थिक नुकसान से बचाएगी, बल्कि सरकार की कृषि नीतियों में विश्वास को भी बहाल करेगी।