राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में एक गंभीर घटना सामने आई है, जहां डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की मूर्ति लगाने और सांस्कृतिक जनजागरण कार्यक्रम की तैयारी कर रहे भील आदिवासी युवाओं पर सामंती सोच के गुंडों द्वारा जानलेवा हमला किया गया। इस घटना के वीडियो ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है और लोगों के बीच आक्रोश बढ़ा है, लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम उठाए नहीं गए हैं।
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि आदिवासी युवाओं पर हमला करने वाले गुंडों ने हिंसा और बर्बरता की सारी हदें पार कर दीं। हमलावरों ने न केवल युवा कार्यकर्ताओं को पीटा, बल्कि मूर्ति लगाने और सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारी को भी तहस-नहस कर दिया। यह हमला स्थानीय सामंती सोच और आदिवासी समुदाय की पहचान को मिटाने की एक जघन्य कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
डॉ. लक्षमण यादव ने इस घटना पर ट्वीट कर कहा, "राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की मूर्ति लगवाने और सांस्कृतिक कार्यक्रम करने की तैयारी कर रहे भील आदिवासी युवाओं पर सामंती सोच के गुंडों द्वारा जानलेवा हमला किया गया।" यादव ने प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाते हुए लिखा, "यह वीडियो पिछले तीन दिन से वायरल हो रहा है, मगर शासन या प्रशासन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। क्या इसी तरह से आदिवासियों का शोषण होता रहेगा?"
मयंक शुक्ला ने भी इस मुद्दे को लेकर चिंता जताई है और प्रशासन की चुप्पी पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा, "इस घटना के बारे में सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह संकेत करता है कि आदिवासी समुदाय के खिलाफ हिंसा और शोषण को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।"
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में डॉ. भीमराव आम्बेडकर जी की मूर्ति लगवाने और सांस्कृतिक कार्यक्रम करने की तैयारी कर रहे भील आदिवासी युवाओं पर सामंती सोच के गुंडों द्वारा जानलेवा हमला किया गया। pic.twitter.com/auxggTP9Xi
— Dr. Laxman Yadav (@DrLaxman_Yadav) July 30, 2024
समाज के विभिन्न वर्गों ने इस हमले की निंदा की है और प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि यह हमला समाज में जातिवाद और भेदभाव की कड़ी को दर्शाता है। उनका कहना है कि यदि तुरंत और प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई, तो यह समाज में एक खतरनाक उदाहरण स्थापित कर सकता है।
अब सवाल यह उठता है कि प्रशासन इस गंभीर घटना पर कब और कैसे जवाब देगा। क्या आदिवासी समुदाय को न्याय मिलेगा या इस तरह की घटनाओं को नजरअंदाज किया जाता रहेगा? यह समय प्रशासन के लिए एक बड़ी परीक्षा है कि वह अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए प्रभावित समुदाय को न्याय प्रदान करें और समाज में शांति और समानता सुनिश्चित करें।