नई दिल्ली, 18 अगस्त 2024: हाल ही में एक वीडियो के माध्यम से मुस्लिम नेता मिस्बाही खुर्शीद द्वारा दिए गए बयान ने देशभर में हंगामा मचा दिया है। इस वीडियो में, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, मिस्बाही ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए कहा है कि “मुख्यमंत्री तो हमारे यहां तक हैं, पाकिस्तान को हम कब्जा कर लेंगे। हम कहें पहले चलो, हम पहले कब्जा करेंगे। निकलो तो मठ से आवाज लगाने की जरूरत नहीं है, घर से बाहर निकलो।”
उनके इस बयान से सियासी हलकों में भूचाल आ गया है। वीडियो में मिस्बाही ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा का जिक्र करते हुए मुसलमानों को वहां जाने और हिंदुओं को बचाने के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा है, हमारे आप के साथ है। चलो हिंदुओं को बचाने के लिए। हमारा हिन्दू भाई मर रहा है और तुम घरों में बैठे हुए हो। अपने भाइयों को बचाने के लिए खड़े नहीं हो सकते। हम अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार हैं।”
मुख्यमंत्री कहते हैं हम पाकिस्तान पर कब्जा कर लेंगे,
— Kavish Aziz (@azizkavish) August 18, 2024
बांग्लादेश में हमारे भाई मर रहे हैं, वहां चलो हमारे भाइयों के लिए हमारी जान कुर्बान है। मठ से चिल्लाने से कुछ नहीं होगा pic.twitter.com/hqAEq1Ppg3
इस बयान को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वीडियो की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे "देश की अखंडता और सुरक्षा के खिलाफ बयान" करार दिया है और कहा है कि इस तरह के बयान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी इस बयान की निंदा की है, लेकिन उन्होंने यह भी मांग की है कि सरकार इस वीडियो की सत्यता की जांच करे। वहीं, कुछ धार्मिक संगठनों ने इस बयान को सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला बताया है और आरोप लगाया है कि इस तरह के बयान समाज में विभाजन की भावना को और गहरा कर सकते हैं।
सोशल मीडिया पर भी इस वीडियो को लेकर लोगों में आक्रोश है। जहां कुछ लोग मिस्बाही के समर्थन में खड़े हैं, वहीं ज्यादातर लोग उनके इस बयान की आलोचना कर रहे हैं। यह मुद्दा अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है, और इसके आगे की कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
इस विवादित बयान ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या धार्मिक और सामुदायिक नेताओं को अपनी बयानबाजी में ज्यादा संयम और सावधानी बरतनी चाहिए? आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी प्रतिक्रियाएं सामने आ सकती हैं।