हरियाणा में पिछले एक दशक से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार ने राज्य की राजनीति और प्रशासनिक ढांचे में कई अहम बदलाव किए हैं। इनमें सबसे प्रमुख बदलाव सरकारी नौकरियों के क्षेत्र में आया है। एक समय था जब हरियाणा में सरकारी नौकरी पाने के लिए "पर्ची-खर्ची" का चलन था। इसका मतलब था कि नौकरियां केवल उन्हीं लोगों को मिलती थीं, जिनके पास राजनीतिक सिफारिश थी या जिन्होंने रिश्वत दी थी।
पर्ची-खर्ची का अंत
अक्टूबर 2014 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सरकारी भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकारी नौकरियां केवल योग्यता के आधार पर मिलेंगी, न कि सिफारिश या रिश्वत के आधार पर। इसका परिणाम यह हुआ कि पिछले 10 वर्षों में राज्य में पर्ची-खर्ची का सिस्टम पूरी तरह से खत्म हो गया है।
सरकारी नौकरियों में उछाल
बीजेपी सरकार के इन 10 वर्षों में 1.40 लाख नौजवानों को उनकी योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरियां मिली हैं। इसके लिए न तो किसी को सिफारिश की जरूरत पड़ी, न ही रिश्वत की। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान भी 50,000 से अधिक सरकारी नौकरियों की प्रक्रिया चल रही है, जो जल्द ही पूर्ण होगी।
पिछली सरकारों की तुलना में दोगुनी नौकरियां
अगर हम बीजेपी सरकार से पहले के एक दशक के आंकड़ों पर नजर डालें, तो लगभग 85,000 लोगों को ही सरकारी नौकरियां मिल पाई थीं। वहीं, बीजेपी सरकार ने अपने कार्यकाल में इससे दोगुने से भी अधिक लोगों को सरकारी नौकरी देने का काम किया है। इससे यह साफ हो जाता है कि सरकार ने योग्यता और पारदर्शिता के सिद्धांतों पर चलते हुए सरकारी नौकरियों का वितरण किया है।
शिक्षा क्षेत्र में सुधार
सरकार की इस नीति का असर शिक्षा क्षेत्र में भी देखा जा सकता है। हाल ही में राज्य सरकार ने 7,441 नवनियुक्त टीजीटी अध्यापकों को नियुक्ति पत्र सौंपे। इनके चयन में सिर्फ और सिर्फ योग्यता को ही प्राथमिकता दी गई। इसी साल, जुलाई तक, 33,000 से अधिक पदों पर बिना किसी भ्रष्टाचार के नतीजे निकाले गए हैं।
गरीब परिवारों को मिली राहत
पहले के समय में सरकारी नौकरियां केवल राजनीतिक परिवारों या धनी लोगों के लिए सीमित थीं, लेकिन अब गरीब से गरीब परिवारों के लोग भी सरकारी नौकरी हासिल कर रहे हैं। यह बदलाव राज्य में भ्रष्टाचार और दलाली की समाप्ति का संकेत है।
ग्रुप सी और डी में भी पारदर्शिता
बीजेपी सरकार ने सिर्फ बड़े पदों पर ही नहीं, बल्कि ग्रुप सी और डी की नौकरियों में भी पारदर्शिता को बरकरार रखा है। यहां भी बिना पर्ची-खर्ची के योग्य उम्मीदवारों को नौकरी मिल रही है।
हरियाणा कौशल रोजगार निगम की भूमिका
हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में भर्ती प्रक्रिया और भी मजबूत हुई है। राज्य सरकार ने हरियाणा कौशल रोजगार निगम की स्थापना की है, जो भर्ती प्रक्रिया की निगरानी करती है। इसके तहत 7,000 योग्य उम्मीदवारों को एसएमएस के माध्यम से नौकरी का ऑफर मिला है।
संविदा कर्मचारियों की सेवाओं का नियमितीकरण
सरकार ने विभिन्न विभागों में काम कर रहे 1,20,000 संविदा कर्मचारियों की सेवाओं को भी नियमित किया है, जिससे अब वे स्थायी कर्मचारियों की तरह सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।
राजनीतिक हस्तक्षेप का अंत
हरियाणा ने वह दौर भी देखा है जब 2013 में तत्कालीन राज्य सरकार ने शिक्षकों की भर्ती का ठेका एक प्राइवेट कंपनी को दे दिया था, जिससे व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे। लेकिन अब यह दौर समाप्त हो चुका है। आज राज्य में नौजवानों को यह भरोसा है कि वे अपनी योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी पा सकते हैं, बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के।
गरीब तबके के बच्चों को मिल रहा है मौका
बीजेपी सरकार ने हरियाणा में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और क्षेत्रवाद पर लगाम लगाने का काम किया है। आज गरीब परिवार के बच्चे भी सरकारी नौकरी हासिल कर रहे हैं, जो पहले सोच से परे था। एक समय था जब नौकरियां विधायकों में बंटती थीं, लेकिन अब मेरिट से नौकरियां मिलने पर युवाओं का भरोसा बढ़ा है।
हरियाणा में पिछले 10 वर्षों में बीजेपी सरकार ने सरकारी नौकरियों के क्षेत्र में जो बदलाव किए हैं, वे न केवल राज्य के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि युवाओं के भविष्य को भी सुरक्षित कर रहे हैं। सरकार की पारदर्शी और निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया ने जनता का भरोसा जीत लिया है, और यह विश्वास दिलाया है कि अब हरियाणा में योग्य उम्मीदवारों को ही सरकारी नौकरी मिलेगी, बिना किसी पर्ची-खर्ची के।
आगामी विधानसभा चुनावों में भी यह मुद्दा अहम रहेगा, और देखना होगा कि जनता सरकार के इस प्रयास को कैसे सराहती है।