भारतीय समाज में लंबे समय बाद एक सामाजिक संतुलन की स्थिति देखने को मिल रही थी। देश तेजी से आर्थिक विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा था, और समाज में शांति का माहौल था। लेकिन अब इस शांति को तोड़ते हुए, सामाजिक न्याय की पहल करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ पर राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाया गया है। यह आरोप प्रमुख पत्रकार और सामाजिक टिप्पणीकार दिलीप मंडल द्वारा लगाया गया है।
मंडल के अनुसार, चंद्रचूड़ ने एक ऐसे समय में एससी-एसटी समुदाय से जुड़े मुद्दों को उठाया, जब देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति स्थिर और खुशहाल थी। उनका कहना है कि देश तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर था और आर्थिक उदारीकरण ने हर घर में आवश्यक सुविधाओं जैसे मोटरसाइकिल, मोबाइल, और कूलर की उपलब्धता सुनिश्चित की थी। ऐसे में एससी-एसटी मुद्दों को उठाना देश की खुशहाली को नुकसान पहुंचाने जैसा है।
चंद्रचूड़ क्यों राष्ट्रद्रोही हैं।
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 3, 2024
भारत के समाज में अरसे बाद सामाजिक संतुलन जैसी स्थिति बनी थी। लोग मोटे तौर पर शांति से रह रहे हैं। देश तेज गति से आर्थिक विकास कर रहा था। हम तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर बढ़ रहे हैं।
आर्थिक उदारीकरण से देश आगे बढ़ा है। इन वर्षों में आज…
मंडल ने मणिपुर की हालिया हिंसा का भी हवाला दिया, जो कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुई। उनका आरोप है कि कोर्ट ने इस हिंसा से कोई सबक नहीं सीखा और समाज में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाने में विफल रही। उनका कहना है कि बड़े फैसले सरकारों को करने दिए जाएं क्योंकि सरकारें क़ानून व्यवस्था को समझती हैं और उन्हें चुनावी जिम्मेदारी का भी सामना करना पड़ता है, जिससे वे संतुलन बनाए रखती हैं।
दिलीप मंडल ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज, जो गोल्फ खेलने और फाइव स्टार होटलों में रहने के आदी हैं, वे राष्ट्र के बड़े फैसले नहीं कर सकते। उनके अनुसार, संविधान में जजों को यह कार्य सौंपा ही नहीं गया है। वर्तमान में, चंद्रचूड़ की कुर्सी के नीचे 80,000 मुकदमे लंबित हैं, लेकिन चंद्रचूड़ का ध्यान संविधान बदलने पर है, जो कि मंडल के अनुसार, एक गंभीर चिंता का विषय है।
दिलीप मंडल का कहना है कि कोर्ट ने अपना काम सही तरीके से नहीं किया है और इसलिए एससी-एसटी मुद्दे को उठाने का समय नहीं था। उनका आरोप है कि इस मुद्दे को उठाकर चंद्रचूड़ ने राष्ट्र की खुशहाली को खतरे में डाला है और इस प्रकार राष्ट्रद्रोह किया है।
चंद्रचूड़ के इस कदम पर देशभर में विवाद उत्पन्न हो गया है और यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस तरह के मुद्दे को उठाना देश की शांति और समृद्धि के लिए खतरा हो सकता है।
नोट- यह लेख पूरी तरह से प्रोफेशर दिलीप मंडल द्वारा एक्स पर किये गए ट्वीट पर आधारित है.