हाल ही में वरिष्ठ प्रोफेसर दिलीप मंडल ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पर एक टिप्पणी की है। मंडल का कहना है कि चंद्रचूड़ अपने पिता, पूर्व चीफ जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ की वजह से इस पद पर पहुंचे हैं। उनका यह भी आरोप है कि चंद्रचूड़ ने सीधे वकील से जज की कुर्सी तक पहुँचने की प्रक्रिया का पालन किया, बिना सामान्य मेरिट परीक्षाओं और ज़िला जज की प्रक्रिया का पालन किए।
चंद्रचूड़ अपने बाप के चीफ़ जस्टिस होने की वजह से चीफ़ जस्टिस बने हैं।
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 2, 2024
परीक्षा देकर ज़िला जज के रास्ते से नहीं, सीधे वकील से उठाकर जज बने हैं। वे मेरिट वग़ैरह की बात न ही करें तो बेहतर। #DismissChandrachud
मंडल का यह बयान हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा SC/ST में कोटे के अंतर्गत कोटा पर सात जजों की पीठ द्वारा दिए गए फैसले के संदर्भ में आया है। इस फैसले को लेकर मंडल ने इसे संविधान के खिलाफ बताया और इस पर गहरी चिंता जताई। उनका कहना है कि इस प्रकार के फैसले संविधानिक समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं।
प्रोफेसर मंडल की टिप्पणी ने न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और मेरिट पर उठ रहे सवालों को एक बार फिर से उकेरा है। उनका तर्क है कि ऐसे निर्णयों से न्यायिक प्रक्रिया में समान अवसर और गुणात्मक मानक प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने यह भी सलाह दी कि चंद्रचूड़ को अपनी नियुक्तियों के संदर्भ में मेरिट की बात से बचना चाहिए, क्योंकि यह सवालों के घेरे में है।
दिलीप मंडल ने ट्विटर पर लिखा- चंद्रचूड़ अपने बाप के चीफ़ जस्टिस होने की वजह से चीफ़ जस्टिस बने हैं। परीक्षा देकर ज़िला जज के रास्ते से नहीं, सीधे वकील से उठाकर जज बने हैं। वे मेरिट वग़ैरह की बात न ही करें तो बेहतर।
यह बयान न्यायिक और राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर रहा है, और कई लोग इस पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। क्या यह टिप्पणी संविधान के सिद्धांतों की रक्षा करती है या यह न्यायिक प्रक्रिया में अनावश्यक विवाद उत्पन्न करती है, यह एक बड़ा सवाल है।
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