सिद्धार्थनगर, उत्तर प्रदेश – जिले के खजुरिया रोड पर अतिक्रमण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के दौरान एक अप्रत्याशित घटना सामने आई, जब जिला प्रशासन ने पुलिस की कोतवाली पर बुलडोजर चला दिया। इस कार्रवाई में कोतवाली के कुछ हिस्से को गिरा दिया गया, जिसे अतिक्रमण की श्रेणी में माना गया था। इस घटना के बाद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
घटना के अनुसार, खजुरिया रोड पर जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया जा रहा था। इसी दौरान एसडीएम सदर डॉ. ललित कुमार मिश्रा और पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) सदर अरुणकांत सिंह के बीच कोतवाली की बाउंड्री को तोड़ने को लेकर बहस हो गई। सीओ सदर अरुणकांत सिंह का कहना था कि पहले तहसील की बाउंड्री को तोड़ा जाए और उसके बाद ही थाने की बाउंड्री पर कार्यवाही की जाए।
पुलिस और प्रशासन के बीच तनाव तब और बढ़ गया जब थाना प्रभारी संतोष कुमार त्रिपाठी ने एसडीएम से बाउंड्री वॉल को तोड़ने के लिए लिखित आदेश की मांग की। इस पर एसडीएम और थाना प्रभारी के बीच तीखी बहस हो गई। काफी समय तक चले विवाद के बाद, एसडीएम ने पहले तहसील की बाउंड्री को तोड़ने का निर्णय लिया, और इसके बाद कोतवाली की बाउंड्री को भी गिरा दिया गया।
#UP में बुलडोज़र कांड !! 🤔#सिद्धार्थनगर ज़िले में #पुलिस 🚔 पर ही #बुलडोजर चल गया है #जिला_प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान में #कोतवाली के कुछ हिस्से पर बुलडोजर चला दिया जो कि अतिक्रमण के दायरे में आता था। #बुलडोजर की कार्यवाही के दौरान प्रशासन & पुलिस के #ADM और #CO के… pic.twitter.com/3zTgdtN7c9
— Dr.Ahtesham Siddiqui (@AhteshamFIN) August 26, 2024
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सिद्धार्थनगर जिला प्रशासन की कार्यवाही पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि इस तरह के मामलों में प्रशासन और पुलिस के बीच आपसी तालमेल और संवाद की कमी नहीं होनी चाहिए। वहीं, कुछ लोगों ने एसडीएम के निर्णय को सही ठहराया है और कहा है कि कानून का पालन सभी पर समान रूप से होना चाहिए, चाहे वह सरकारी संपत्ति ही क्यों न हो।
इस पूरे घटनाक्रम ने सिद्धार्थनगर में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के बीच संबंधों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उच्च अधिकारियों ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं। अब देखना यह है कि इस विवाद का अंत किस दिशा में होता है और जिले में प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारु रूप से कैसे बहाल किया जाता है।