बरेली: भारतीय समाज में शिक्षा का अधिकार हर नागरिक का है, लेकिन बरेली जिले के एक दलित समुदाय के गांव में स्थिति इतनी भयावह है कि यहां के बच्चे आज भी शिक्षा की मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। हाल ही में, इस गांव के दलित बच्चों ने नगीना से सांसद चंद्रशेखर से हाथ जोड़कर मदद की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि उनके गांव में कोई भी सरकारी स्कूल नहीं है, जिससे उन्हें शिक्षा प्राप्त करने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
गांव के बच्चों ने, जिनकी उम्र पांच से बारह साल के बीच है, अपने शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। इन बच्चों ने सांसद चंद्रशेखर से मुलाकात की और अपनी दयनीय स्थिति का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि बिना सरकारी स्कूल के उन्हें शिक्षा के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, जो कि न केवल समय बर्बाद करता है बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करता है।
भाई चंद्रशेखर भैया हमारे गॉव में एक भी सरकारी स्कूल नहीं है हम दूर जाते है हमें परेशानी होती है।...........
— Anand Kumar ASP (@Anandkumar7275) July 31, 2024
जनपद बरेली से@BhimArmyChie fसे स्कूल बनाने को लेकर दलित समुदाय के बच्चो ने हाथ जोड़कर लगाई मदद कि गुहार....@NaginaASP @Mission78Kanshi #BhimArmy #BhimArmyChief pic.twitter.com/WHwutcvtgk
गांव के बच्चों ने कहा, “भाई चंद्रशेखर भैया, हमारे गांव में एक भी सरकारी स्कूल नहीं है। हम दूर जाते हैं, हमें परेशानी होती है। हमें पढ़ाई का अधिकार चाहिए। कृपया हमारी मदद करें।” इस भावुक अपील ने सांसद चंद्रशेखर को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या 21वीं सदी में भी ऐसे हालात में किसी दलित समुदाय के बच्चे शिक्षा से वंचित रह सकते हैं?
सांसद चंद्रशेखर ने बच्चों की अपील को गंभीरता से लिया है और आश्वासन दिया है कि इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी और संबंधित विभागों से इस स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है और जल्द ही स्कूल निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन दिया है।
हालांकि, यह स्थिति दर्शाती है कि भारत में शिक्षा का अधिकार केवल कानूनी नहीं बल्कि व्यावहारिक भी होना चाहिए। यह शर्मनाक है कि आज भी कुछ गांवों में बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है। सांसद चंद्रशेखर के प्रयासों से उम्मीद है कि इन बच्चों की शिक्षा की दिशा में सकारात्मक परिवर्तन आएगा और इस गांव के बच्चे भी एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ सकेंगे।