आज हम अपने देश की स्वतंत्रता संग्राम के महान नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने अपने साहस और बलिदान से गुलामी की जंजीरों को तोड़ा और हमें आजादी दिलाई। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हम उन महान क्रांतिकारियों की स्मृति में उनकी शहादत को याद करें और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएं।
हाल ही में, पंकज अतुलकर द्वारा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ को जान से मारने की धमकी देने की खबर ने देशभर में हड़कंप मचा दिया है। पंकज अतुलकर ने अपने बयान में कहा कि न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ अनुचित निर्णय लिया है और संविधान का उल्लंघन किया है। अतुलकर ने यह भी दावा किया कि वह न्यायाधीश को मारने की धमकी देते हैं ताकि भविष्य में लोगों को कीड़े-मकोड़ों की जिंदगी का सामना न करना पड़े।
इस धमकी की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की है और पंकज अतुलकर के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। यह धमकी न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह समाज में असंतोष और अशांति फैलाने का भी प्रयास है। न्यायपालिका और संविधान की रक्षा करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है, और ऐसे किसी भी प्रकार की हिंसा की धमकी या आचरण की निंदा की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने अपने फैसलों में हमेशा न्याय और समानता की पक्षधरता की है, और उनका लक्ष्य समाज में समानता और न्याय स्थापित करना है। किसी भी विवाद या असहमति को हिंसा के माध्यम से नहीं सुलझाया जा सकता।
इस संदर्भ में, हम सभी से अपील करते हैं कि वे समाज के लिए संघर्ष करते हुए शांति और कानून के मार्ग का पालन करें। हमें अपने मतभेदों को लोकतांत्रिक और कानूनी तरीके से सुलझाना चाहिए और किसी भी प्रकार की हिंसा या धमकी से बचना चाहिए। यही हमारे स्वतंत्रता संग्राम के महान आदर्शों की सच्ची आराधना होगी।