हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें बताया गया कि राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट को पेश किया गया। इस रिपोर्ट को कैबिनेट द्वारा स्वीकृति प्रदान कर दी गई है, जिसके तहत राज्य में वंचित अनुसूचित जातियों के लिए नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुसार, राज्य में अनुसूचित जातियों को दो वर्गों में विभाजित किया जाएगा: 'अन्य अनुसूचित जाति' और 'वंचित अनुसूचित जाति'। 'अन्य अनुसूचित जाति' में चमार, रेगर, रायगढ़, रामदासी, रविदासी, दलही, बटाई, मोची और जाटव जैसी जातियां शामिल होंगी। वहीं, 'वंचित अनुसूचित जाति' में वाल्मीकि, धानुक, बाजीगर, मजहबी सहित 36 अन्य जातियां शामिल की गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण सूची में वर्गीकरण के फैंसले को हरियाणा की बीजेपी सरकार ने मंत्रिमंडल से पास करके लागू करने की शुरुआत कर दी हैं।
— Dr Jitendra Meena (@JitendraMeenaDU) August 17, 2024
केंद्र सरकार कहती है कि डॉ अंबेडकर के आरक्षण पर कोई छेड़खानी नहीं होने देंगे लेकिन हरियाणा सरकार उसके उलट काम कर रही हैं।
लिहाज़ा 21 अगस्त के… pic.twitter.com/6qHZ2XiCGy
राज्य में कुल 20 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है, जिसमें 'अन्य अनुसूचित जाति' और 'वंचित अनुसूचित जाति' के लिए 10-10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। यह सुनिश्चित किया गया है कि यदि 'अन्य अनुसूचित जाति' वर्ग में उपयुक्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होते हैं, तो उस कोटे के अंतर्गत 'वंचित अनुसूचित जाति' के उम्मीदवारों को भर्ती किया जाएगा। इसी प्रकार, 'वंचित अनुसूचित जाति' में उपयुक्त उम्मीदवार न मिलने पर 'अन्य अनुसूचित जाति' के उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इस फैसले को राज्य में सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि राज्य में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण को लेकर किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा।
यह देख लो एससी एसटी वालों हरियाणा की भाजपा सरकार ने मंत्रिमंडल में पास करने की बात कही है
— आदिवासी समाचार (@AadivasiSamachr) August 17, 2024
अभी आपके पास वक्त भी है इसलिए 21 अगस्त को संपूर्ण भारत बंद होना चाहिए अपनी ताकत दिखानी होगी #scstreservation#21_अगस्त_भारत_बंद
pic.twitter.com/YwM49jPMVD
हालांकि, हरियाणा में आचार संहिता लागू होने के कारण इस मामले को चुनाव आयोग के पास भेजा जाएगा। चुनाव आयोग की स्वीकृति के बाद ही इसे लागू किया जाएगा।
इस फैसले को लेकर विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने प्रतिक्रिया दी है। कई संगठनों ने इसे वंचित वर्गों के हित में उठाया गया एक सराहनीय कदम बताया है, जबकि कुछ ने इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा है।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले का हरियाणा के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर क्या असर पड़ता है। राज्य में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण के इस नए प्रावधान से संबंधित विवाद और चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं। फिलहाल, यह कदम राज्य की वंचित जातियों के सशक्तिकरण की दिशा में एक सकारात्मक पहल माना जा रहा है।