2024 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 172 जनसभाएं और रोड शो किए थे। यह एक बड़ा चुनावी अभियान था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन रैलियों पर होने वाला खर्च किसने किया और यह पैसा कहां से आया?
देश पहले ही चुनावी बांड घोटाले जैसी खबरों से वाकिफ है, लेकिन आज हम आपको प्रधानमंत्री की चुनावी रैली में हुए कथित घोटाले से रूबरू करवाते हैं।
दरअसल, 6 मार्च 2024 को बिहार के बेतिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक रैली हुई थी। इस रैली पर कितना खर्च हुआ और इसका खर्च किसने वहन किया, इसकी जानकारी एक आरटीआई कार्यकर्ता ने मांगी। आरटीआई में सामने आया कि इस रैली पर 24.25 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे खर्च को ईस्ट सेंट्रल रेलवे के समस्तीपुर रेलवे डिवीजन ने वहन किया था।
रेलवे, जो खुद वित्तीय संकट से जूझ रहा है, उसके पास प्रधानमंत्री की रैली के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने की क्षमता है। यह वही रेलवे है, जिसमें चाय बेचकर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, लेकिन अब उसी रेलवे को वे वित्तीय संकट में डालने की तैयारी कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी,
— Vinaysheel (@Vinaysheel_INC) August 17, 2024
यह कैसी फक़ीरी है सर ! आपकी 1 रैली का खर्च 25 करोड़ रुपए है. आपने ऐसी 172 रैलियाँ की थी.
पैसा रेलवे ने दिया. टैक्स के रूप में जेब जनता की कट रही है. वीडियो देखिए : pic.twitter.com/Ol3pt0uhWA
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, ईस्ट सेंट्रल रेलवे के समस्तीपुर रेलवे डिवीजन ने रैली के लिए पंडाल और हैंगर पर 15.50 करोड़ रुपये खर्च किए। अस्थाई हेलीपैड बनाने पर 3.40 करोड़ रुपये खर्च किया गया, जबकि एयरपोर्ट पर 2.50 करोड़ रुपये का खर्च किया गया।
प्रधानमंत्री डिजिटल लेन-देन की बात करते हैं, लेकिन इस रैली के लिए कहीं भी डिजिटल लेन-देन का उपयोग नहीं किया गया। रेलवे ने सारा काम नगद किया। इस लूट का काम जिस कंपनी को दिया गया, उसका नाम है हितकारी प्रोडक्शंस एंड क्रिएशंस दिल्ली, जिसके मालिक हैं गोड्डा के सांसद निशिकांत दूबे। निशिकांत दूबे वही सांसद हैं जो संसद में भी झूठ बोलने से नहीं चूकते।
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रधानमंत्री ने अपनी 172 रैलियों में इसी प्रकार से देश के संसाधनों का दोहन किया है? इस कथित घोटाले की सच्चाई क्या है और इसके पीछे की असल कहानी क्या है, ये तो समय ही बताएगा, लेकिन यह मामला कई सवाल खड़े करता है।
सरकार को चाहिए कि इस तरह के आरोपों की जांच करवाई जाए और जनता को सच्चाई बताई जाए। अगर वाकई में यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरे का संकेत है।
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