दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के असिस्टेंट डायरेक्टर संदीप यादव को 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। यह मामला दिल्ली के एक सोने-चांदी की ज्वेलर्स की दुकान से जुड़ा है, जहाँ संदीप यादव ने रिश्वत की रकम प्राप्त की थी। यह घटना मोदी सरकार के भ्रष्टाचार से लड़ाई के दावों पर एक गंभीर सवाल खड़ा करती है, क्योंकि ED खुद भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का नेतृत्व करने वाली प्रमुख एजेंसी है।
सूत्रों के अनुसार, संदीप यादव ने उक्त ज्वेलर्स के खिलाफ चल रही जांच के बदले में रिश्वत की मांग की थी। CBI की कार्रवाई ने यह साफ कर दिया कि भ्रष्टाचार की समस्याएं केवल बाहरी लोगों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उन एजेंसियों में भी पैठ बना चुकी हैं जो खुद भ्रष्टाचार से लड़ने का दावा करती हैं।
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— 𝙈𝙪𝙧𝙩𝙞 𝙉𝙖𝙞𝙣 (@Murti_Nain) August 9, 2024
मोदी राज में भ्रष्टाचार से लडाई करने वाली ED बनी वसूली गैंग,
दिल्ली में ED का असिस्टेंट डायरेक्टर #संदीप_यादव एक सोने चांदी की ज्वेलर्स की दुकान करने वाले से 20 लाख रुपये रिश्वत लेता CBI द्वारा रंगे हाथ गिरफ्तार,
ये पहले मौका नहीं हैं कि ED के अधिकारी रिश्वत… pic.twitter.com/GVLcim24Oh
यह पहला मामला नहीं है जब ED के अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है। इससे पहले भी तमिलनाडु, राजस्थान और अन्य राज्यों में ED के अधिकारी इसी तरह की गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं। इन घटनाओं ने सवाल उठाया है कि क्या ED और अन्य जांच एजेंसियां अपने ही कर्मियों की भ्रष्टाचार की प्रवृत्तियों पर नियंत्रण पाने में सक्षम हैं।
CBI की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए, ED के प्रवक्ता ने कहा कि विभाग इस मामले की पूरी तरह से जांच करेगा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रवक्ता ने यह भी बताया कि विभाग ने अपने अधिकारियों के लिए सख्त आचार संहिता और ट्रेनिंग कार्यक्रम लागू किए हैं ताकि भ्रष्टाचार की प्रवृत्तियों पर नियंत्रण पाया जा सके।
इस गिरफ्तारी ने जनता में व्यापक असंतोष को जन्म दिया है और एक बार फिर सवाल खड़ा किया है कि क्या भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियां स्वयं भ्रष्टाचार से मुक्त हैं। इस मामले की तफ्तीश और कार्रवाई की प्रक्रिया को लेकर नागरिकों और विभिन्न संगठनों में आशंका और चिंता का माहौल व्याप्त है।