हाल ही में, अज्ञानी जी द्वारा प्रस्तुत एक वीडियो में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और SC/ST आरक्षण के मुद्दे पर की गई टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए लेखक राजेश सूर्यवंशी ने एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा SC/ST कोटा में क्रीमी लेयर का फैसला पूरी तरह से असंविधानिक है और इसे संविधान संशोधन के अधिकार के तहत संसद द्वारा ही किया जाना चाहिए।
सूर्यवंशी ने इस बात पर जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आरक्षण की मूल धारणा प्रभावित हो सकती है और यह संविधान के उल्लंघन के समान हो सकता है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के जज कभी भी पूरी आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करने का कदम उठा सकते हैं, जो कि एक गंभीर चिंता का विषय है।
लेखक ने यह भी स्पष्ट किया कि समाज के भीतर उपस्थित समस्याओं के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराने के बजाय, समाज के भीतर ही समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने हाथरस कांड का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे समाज के हितैषियों ने उस समय सच्ची सहायता प्रदान की और लाठियां खाईं, जबकि आज कई लोग उसी समाज को दोषी ठहरा रहे हैं।
मैं पक्का अज्ञानी हूं दोस्त और दुश्मन में फर्क नहीं कर सका, मेरी गलतियों का खुला विश्लेषण।
— ashok agyani (@ashokagyani) August 9, 2024
पूरा विडियो सुनिए https://t.co/tfFHo2MEuj pic.twitter.com/h6bZcTuXn2
सूर्यवंशी ने वाल्मीकि समाज के शिक्षा की स्थिति पर भी चिंता जताई और सवाल किया कि आज भी कितने लोग शिक्षा से दूर हैं और इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए समाज के संगठनों ने क्या प्रयास किए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कई गांवों में आज भी लोग मैला ढोने को मजबूर हैं, और इसका सीधा संबंध सवर्णों की शिक्षा न देने की नीति से है।
उनका निष्कर्ष स्पष्ट है: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रति विरोध जताते हुए, सूर्यवंशी ने तर्क किया कि समाज के भीतर सुधार और विकास के लिए संविधान की शक्ति को मान्यता देने की आवश्यकता है, न कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर अत्यधिक निर्भर रहने की। उन्होंने समाज के भीतर शिक्षा और समानता को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है।
लेखक का संदेश स्पष्ट है: समाज में आरक्षण और समानता के मुद्दे पर विचार करते समय, हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की तुलना में संविधान और संसद की भूमिका को अधिक महत्व देना चाहिए और समाज के भीतर सुधार के लिए मिलकर काम करना चाहिए।