भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में प्रोफेसर दिलीप मंडल को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में मीडिया सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है। इस नियुक्ति के बाद से सोशल मीडिया पर खलबली मच गई है, और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और समर्थकों ने इस पर तीखी प्रतिक्रियाएँ दी हैं।
कांग्रेस और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ
कांग्रेस के समर्थक और सोशल मीडिया के उपयोगकर्ता इस नियुक्ति पर नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं। लेखक अशोक कुमार पांडे ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए लिखा, "संघी ब्राह्मणों को दिलीप मंडल के सूचना प्रसारण मंत्रालय का सलाहकार बनने की बहुत बधाई।" वहीं, सुमित चौहान ने कहा, "आख़िरकार प्रो दिलीप मंडल को भक्ति का फल मिल गया है। अब वो आधिकारिक रूप से मोदी सरकार का हिस्सा हैं।"
दूसरी ओर भाजपा समर्थक और मंडल के आलोचक भी पीछे नहीं रहे
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इस नियुक्ति पर कड़ी आपत्ति जताई है। गुलविंदर नाम के एक उपयोगकर्ता ने लिखा, "दिलीप मंडल, जो दलितों के हितैषी बनने का दावा करते थे, अब मोदी जी के चरण चाटते हैं।" वहीं, एक अन्य उपयोगकर्ता ब्राह्मण 💯FB हर ब्राह्मण मेरा परिवार ने कहा, "दिलीप मंडल ने ब्राह्मणों, हिंदुओं और मोदी को गाली दे दे के करियर बनाया, और अब उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय का मीडिया एडवाइजर बना दिया गया है।"
दिलीप मंडल की योग्यता और विवाद
प्रोफेसर दिलीप मंडल की नियुक्ति ने जहां उनके समर्थकों के बीच खुशी का माहौल बनाया है, वहीं आलोचकों का कहना है कि यह नियुक्ति उनके पिछले विवादित बयानों के बावजूद हुई है। मंडल ने हमेशा दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की वकालत की है, और उनके विचारों ने उन्हें सामाजिक न्याय के समर्थकों के बीच लोकप्रिय बनाया है। हालांकि, उनके आलोचक उनके विचारों को विवादास्पद मानते हैं और उनके भाजपा के साथ जुड़ाव पर सवाल उठा रहे हैं।
प्रोफेसर दिलीप मंडल की नियुक्ति ने न केवल राजनीतिक गलियारों में, बल्कि सोशल मीडिया पर भी एक नई बहस छेड़ दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह बहस किस दिशा में जाती है और क्या दिलीप मंडल अपने नए पद पर किस प्रकार से काम करते हैं।