नई दिल्ली, 28 अगस्त 2024 - भारतीय उद्योग जगत के प्रमुख नामों में से एक, अडानी ग्रुप पर 31 मार्च 2024 तक 2,41,000 करोड़ रुपये का भारी भरकम कर्ज है। इस कर्ज की भारी भरकम राशि ने सभी का ध्यान खींचा है, खासकर इसलिए क्योंकि यह रकम उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के पिछले तीन वर्षों में लिए गए कर्ज के बराबर है।
अडानी ग्रुप द्वारा उठाए गए इस कर्ज का लगभग 36 प्रतिशत यानी 86,760 करोड़ रुपये भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया गया है। इसके अतिरिक्त, ग्रुप ने 1,54,240 करोड़ रुपये का कर्ज विदेशी स्रोतों से जुटाया है। इस कर्ज का अधिकांश हिस्सा लॉन्ग-टर्म लोन के रूप में है, जिसे आमतौर पर व्यापार विस्तार या नए परियोजनाओं के लिए लिया जाता है।
लॉन्ग-टर्म और वर्किंग कैपिटल लोन: कर्ज के विभाजन की समझ
अडानी ग्रुप के कर्ज को दो मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है। पहला, लॉन्ग-टर्म लोन, जो कि कुल कर्ज का 92 प्रतिशत है और इसकी राशि लगभग 2,20,000 करोड़ रुपये है। लॉन्ग-टर्म लोन वह ऋण होता है, जिसे चुकाने की अवधि एक वर्ष से अधिक होती है। दूसरे हिस्से में वर्किंग कैपिटल लोन आता है, जो कि 8 प्रतिशत है और इसकी राशि लगभग 19,000 करोड़ रुपये है। वर्किंग कैपिटल लोन का उपयोग आमतौर पर रोज़मर्रा के खर्चों के लिए किया जाता है, जैसे कि कर्मचारियों की सैलरी या किराया।
भारतीय और विदेशी बैंकों का अडानी पर दांव
अडानी ग्रुप ने अधिकांश लॉन्ग-टर्म लोन भारतीय बैंकों से लिया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने लगभग 29,000 करोड़ रुपये, एक्सिस बैंक ने 9,200 करोड़ रुपये और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने 6,000 करोड़ रुपये का कर्ज अडानी ग्रुप को दिया है। इसके अलावा, भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने भी 5,790 करोड़ रुपये का कर्ज अडानी ग्रुप को दिया है।
विदेशी बैंकों ने भी अडानी ग्रुप को 61,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है, जो कि इस ग्रुप की विदेशी बाजारों में भी मजबूत पकड़ को दर्शाता है। इसके अलावा, अडानी ग्रुप ने कैपिटल मार्केट से भी बड़ी रकम जुटाई है। भारतीय कैपिटल मार्केट से लगभग 58,000 करोड़ रुपये और विदेशी कैपिटल मार्केट से 69,000 करोड़ रुपये का फंड इकट्ठा किया गया है।
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— 𝙈𝙪𝙧𝙩𝙞 𝙉𝙖𝙞𝙣 (@Murti_Nain) August 28, 2024
अडानी पर 2.4 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज़ है, इतना तो देश के कई राज्यों का बजट भी नही है,
ये कर्ज़ भारतीय बैंकों में पड़े आपके हमारे पैसे से लिया गया है, मोदीजी ने अपने मामाजी के घर से नहीं ला कर दिया है,
सोचिये,
अगर कल को अडानी भी नीरव मोदी, ललित मोदी और… pic.twitter.com/7wMSnSqNmn
अडानी ग्रुप की वित्तीय स्थिति और भविष्य
इस सवाल का उत्तर, कि क्या अडानी ग्रुप इस कर्ज को चुका पाएगा, इसके लिए ग्रुप के वित्तीय आंकड़ों पर नजर डालनी होगी। वर्ष 2023-24 में अडानी ग्रुप की कंपनियों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 83,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो कि पिछले एक दशक में 33 गुना की बढ़ोतरी दर्शाता है। इसी तरह, ग्रुप का नेट प्रॉफिट भी 15 सालों में 60 गुना बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये हो गया है।
शेयर बाजार में भी अडानी ग्रुप की प्रमुख कंपनियों ने अच्छी खासी बढ़त हासिल की है। उदाहरण के लिए, अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर की कीमत 1999 में 27 रुपये थी, जो अगस्त 2024 तक 3,070 रुपये तक पहुंच गई। इसी तरह, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के शेयर की कीमत जून 2018 में 29 रुपये थी, जो अब 1,883 रुपये हो चुकी है।
अडानी ग्रुप के वित्तीय स्वास्थ्य का एक और प्रमुख मापदंड है इसका "डेट टू एबिटा रेशियो"। इस रेशियो में पिछले पांच वर्षों में लगातार सुधार हुआ है, जिससे यह संकेत मिलता है कि ग्रुप अपने कर्ज को चुकाने की क्षमता रखता है।
19 अगस्त 2024 को गौतम अडानी ने इस बात का दावा किया कि अडानी ग्रुप के पास पर्याप्त नकदी है, जिससे वे अगले 30 महीनों तक अपने कर्ज की भरपाई कर सकते हैं। इस मजबूत वित्तीय स्थिति के बावजूद, इतनी बड़ी कर्ज राशि पर सवाल उठना स्वाभाविक है, और आने वाले समय में अडानी ग्रुप की वित्तीय नीति और इसे चुकाने की रणनीति पर नजरें टिकी रहेंगी।
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