इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 शिक्षक भर्ती मामले में एक अहम फैसला सुनाते हुए अभ्यर्थियों को राहत दी है। इस निर्णय ने वर्षों से चले आ रहे संघर्ष को अंततः न्याय दिलाया है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह आरक्षित वर्ग के उन अभ्यर्थियों को तीन महीने के भीतर न्याय प्रदान करे, जो इस प्रक्रिया में वंचित रह गए थे।
69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों का संघर्ष वर्षों से चल रहा था। सरकार और प्रशासन की हठधर्मिता के चलते आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को उनके हक से वंचित किया जा रहा था। अभ्यर्थियों ने अपने संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई डॉ. भीमराव अंबेडकर के सिद्धांतों के आधार पर बिना झुके और बिना डरे लड़ी। इस संघर्ष में उन्होंने तमाम कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन अंततः हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए सरकार को तीन महीने के भीतर आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश दिया।
इस फैसले के बाद सरकार पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने का दबाव बढ़ गया है। अभ्यर्थियों के संघर्ष के कारण इस मामले में सरकार की लापरवाही और अधिकारियों की हठधर्मिता स्पष्ट रूप से उजागर हुई है। पांच साल तक इस मुद्दे का समाधान न होने के कारण अभ्यर्थियों के जीवन और करियर पर गहरा प्रभाव पड़ा। अब, इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार को इन अभ्यर्थियों को जल्द से जल्द न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों का संघर्ष रंग लाया। उनकी वर्षों की मेहनत और संघर्ष पर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने भी अपनी मोहर लगा दी,साथ ही सरकार को न्याय से वंचित अभ्यर्थियों को न्याय देने के लिए 3 महीने का समय दिया है।
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) August 16, 2024
मैं उन सभी अभ्यर्थियों को बधाई देता हूँ जिन्होंने परम् पूज्य…
इस फैसले के बाद कई राजनीतिक दलों ने भी अभ्यर्थियों को बधाई दी है। एक प्रमुख राजनीतिक दल के नेता ने कहा, "हम उन सभी अभ्यर्थियों को बधाई देते हैं जिन्होंने बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के संविधान और अपने हक अधिकारों की लड़ाई बिना झुके, बिना डरे लड़ी। हमारी पार्टी इस मामले पर लगातार नजर बनाए हुए है और छात्रों के अधिकार के लिए हर परिस्थिति में उनके साथ खड़ी है।"
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला आरक्षण व्यवस्था और सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब देखना होगा कि सरकार इस आदेश का पालन किस तरह करती है और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय दिलाने में कितनी तत्परता दिखाती है। उम्मीद है कि इस फैसले से उन लाखों अभ्यर्थियों को प्रेरणा मिलेगी, जो अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।