रुड़की में आज एक ऐसी घटना घटी जिसने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या धर्म के नाम पर हिंसा की जा सकती है। धर्म में हिंसा का कोई स्थान नहीं होता, लेकिन रुड़की में शिव भक्तों ने ऐसा तांडव मचाया जिससे एक गरीब व्यक्ति की आजीविका का साधन तहस-नहस हो गया।
आज का दिन रुड़की के एक गरीब रिक्शा चालक के लिए काले दिन से कम नहीं था। शिव के कथित भक्तों ने उसकी मेहनत से कमाई गई रिक्शा को तहस-नहस कर दिया। यह घटना तब हुई जब शिव भक्तों का एक जुलूस वहां से गुजर रहा था। मामूली सी रिक्शा क्या लगी कि भक्तों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उन्होंने बिना सोचे-समझे रिक्शा को तोड़फोड़ दिया। यह देख पुलिस भी लाचार दिखी और उसे स्थिति संभालने में काफी परेशानी हुई।
विडंबना यह है कि ये वही शिव भक्त हैं जिनके लिए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों की सरकारें विशेष व्यवस्थाएं बनाती हैं और करोड़ों रुपये खर्च करती हैं। ये वही भक्त हैं जिन पर हेलीकॉप्टर से फूलों की वर्षा होती है। लेकिन आज इन भक्तों का ऐसा चेहरा देखने को मिला जिसने हर किसी को शर्मसार कर दिया।
धर्म में हिंसा का कोई स्थान नहीं होता लेकिन धर्म के मार्ग पर चल रहे शिव के भक्त हिंसा का तांडव क्यों करने लगते है ? ये वीडियो आज ही का रुड़की का है।
— Ajit Singh Rathi (@AjitSinghRathi) July 23, 2024
एक ग़रीब व्यक्ति की आजीविका के साधन को भी शिव के कथित भक्तों ने तहस नहस कर दिया। मामूली सी रिक्शा क्या लगी कि पुलिस भी लाचार दिखी।… pic.twitter.com/TBvLgoaZrJ
धर्म की आड़ में की गई हिंसा भी धार्मिक उन्माद का ही एक रूप होती है। जब धर्म के नाम पर हिंसा होती है तो यह न सिर्फ समाज को नुकसान पहुंचाती है बल्कि धर्म की सच्ची भावना और मूल्यों को भी ठेस पहुंचाती है। शिव भक्तों के इस तांडव ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या धर्म का असली उद्देश्य यही है? क्या भगवान शिव के भक्तों का यही आचरण होना चाहिए?
रुड़की की इस घटना ने समाज को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमें धर्म के असली मायने समझने की जरूरत है। धर्म का अर्थ है प्रेम, सहिष्णुता और शांति। लेकिन जब धर्म के नाम पर हिंसा की जाती है तो यह धर्म का अपमान होता है। ऐसी घटनाएं धर्म के असली स्वरूप को धूमिल करती हैं और समाज में नकारात्मकता फैलाती हैं।
यह समय है जब हमें धर्म की सच्ची भावना को समझना होगा और धार्मिक आयोजनों में शांति और संयम का पालन करना होगा। धर्म की आड़ में की गई हिंसा किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं हो सकती। हमें अपने आचरण से समाज में शांति और सद्भावना का संदेश देना होगा ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और धर्म का असली उद्देश्य पूरा हो सके।