पटना, बिहार की राजधानी, अपने समृद्ध इतिहास और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इस शहर के भीतर कई रहस्यमयी कहानियाँ और दंतकथाएँ भी छिपी हुई हैं, जिनमें से एक "पटना की भूतही कहानी" के नाम से जानी जाती है। यह कहानी पटना के एक पुराने हवेली की है, जिसे लोग आज भी "भूतहा हवेली" के नाम से जानते हैं।
यह कहानी शुरू होती है 19वीं सदी के अंत में, जब पटना में ब्रिटिश शासन था। शहर के मध्य में एक भव्य हवेली थी, जिसे राजा हरी सिंह ने बनवाया था। हवेली की बनावट और वास्तुकला बेहद शानदार थी। हवेली में बड़े-बड़े दरवाजे, खिड़कियाँ और छतें थीं, और इसके आसपास हरे-भरे बाग-बगिचे थे। राजा हरी सिंह और उनकी पत्नी रानी कमलावती इस हवेली में रहते थे। उनकी एकमात्र संतान, बेटी अदिति, अपनी सुंदरता और मासूमियत के लिए प्रसिद्ध थी।
अदिति का जन्मदिन था और हवेली में बड़े धूमधाम से जश्न मनाया जा रहा था। लेकिन जश्न के बाद एक रात अचानक अदिति गायब हो गई। पूरे शहर में अदिति की तलाश की गई, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। राजा हरी सिंह और रानी कमलावती के दिल टूट गए और कुछ समय बाद वे भी इस दुनिया को अलविदा कह गए।
अदिति की गायब होने की घटना के बाद से ही हवेली में अजीबोगरीब घटनाएँ घटने लगीं। रात के समय हवेली से बच्चों की हँसी और रोने की आवाजें सुनाई देती थीं। कई लोगों ने अदिति की परछाई को हवेली के बगीचे में घूमते हुए देखा था। इन घटनाओं के कारण लोग हवेली को भूतहा मानने लगे और वहाँ जाने से डरने लगे।
सालों बीत गए और हवेली खंडहर में बदल गई। एक दिन, एक युवा इतिहासकार, आकाश, जो पुरानी इमारतों और उनकी कहानियों में रुचि रखता था, पटना आया। उसे "भूतहा हवेली" की कहानी ने बहुत आकर्षित किया और उसने वहाँ जाने का निश्चय किया।
आकाश ने हवेली का दौरा किया और वहाँ की स्थिति देखकर हैरान रह गया। हवेली के अंदर की दीवारें टूटी हुई थीं, फर्नीचर धूल में ढका हुआ था, और चारों ओर खामोशी छाई हुई थी। आकाश ने हवेली की गहराई से जाँच की और अदिति के कमरे तक पहुँच गया। कमरे में अदिति की पुरानी तस्वीरें, खिलौने और किताबें रखी हुई थीं। अचानक, आकाश को एक पुराना डायरी मिली, जिसमें अदिति ने अपने जीवन के आखिरी दिन के बारे में लिखा था।
डायरी में लिखा था कि अदिति को एक रात कुछ अजीब आवाजें सुनाई दी थीं और वह उन आवाजों का पीछा करते हुए हवेली के एक छिपे हुए तहखाने में चली गई। वहाँ उसे एक रहस्यमयी दरवाजा मिला, जो उसे एक अज्ञात दुनिया में ले गया। अदिति ने लिखा था कि वह उस दुनिया में कैद हो गई थी और उसे अपने माता-पिता और हवेली की याद बहुत आती थी।
आकाश ने डायरी के आधार पर तहखाने की खोज की और उसे वही दरवाजा मिला। दरवाजे को खोलते ही आकाश ने खुद को एक रहस्यमयी जगह पर पाया, जहाँ अदिति के अलावा और भी कई लोग कैद थे। आकाश ने अपनी बुद्धिमानी और साहस का परिचय देते हुए उन सभी को मुक्त कराया और अदिति को भी वापस लेकर आया।
अदिति की आत्मा को मुक्ति मिली और हवेली में होने वाली अजीब घटनाएँ समाप्त हो गईं। आकाश ने इस पूरी घटना को लिखकर एक पुस्तक प्रकाशित की, जिससे "पटना की भूतही कहानी" को एक नई पहचान मिली।
आज भी, अगर आप पटना जाएँ और उस पुरानी हवेली के पास से गुजरें, तो आप महसूस करेंगे कि हवेली की खामोशी में अदिति और उसके परिवार की आत्माओं की शांति समाई हुई है। इस कहानी ने पटना की धरोहर और रहस्य को और भी गहराई से लोगों के दिलों में बसा दिया है।