भारतीय पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में कलियुग के अंत की भविष्यवाणी कई चरणों में की गई है। इस अंतिम युग के समाप्ति के लक्षणों को समझने का प्रयास करते हैं, ताकि लोगों को उनके जीवन में सावधानी बरतने का संदेश मिल सके।
1. समाज में अधर्म की प्रवृत्ति:
कलियुग के अंत के प्रारंभिक चरण में समाज में अधर्म की प्रवृत्ति बढ़ने लगती है। लोगों के धर्माचरण में कमी आती है और नैतिकता का पतन होता है।
2. लोगों की लालची भावनाएं:
भारतीय पुराणों में बताया गया है कि कलियुग के अंत के करीब लोगों की लालची भावनाएं और व्यक्तिगत लाभ के प्रति आत्मरति बढ़ती है।
3. युद्ध और हिंसा का बढ़ता प्रयास:
इस युग के अंत के करीब लोगों के बीच युद्ध और हिंसा के प्रयास बढ़ते हैं। सामाजिक स्थिति और अधिकार के लिए विवाद और संघर्ष बढ़ते हैं।
4. धार्मिक और सामाजिक असन्तोष:
कलियुग के अंत के काल में लोगों में धार्मिक और सामाजिक असंतोष बढ़ता है। समाज की स्थिति, सामाजिक न्याय और व्यक्तिगत संतोष की कमी होती है।
5. धार्मिक और सामाजिक मानवाधिकारों का उल्लंघन:
कलियुग के अंत के काल में धार्मिक और सामाजिक मानवाधिकारों का उल्लंघन बढ़ता है। लोग दूसरों के अधिकारों को उल्लंघन करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
निष्कर्ष:
कलियुग के अंत से पहले दिखने लगने वाले ये लक्षण हमें ध्यान में रखने चाहिए कि हमें अपने जीवन में धर्म और नैतिकता को साधारित रखना चाहिए। इससे हम समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं और अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा और समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।