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यह सच है कि भारत में कुछ ब्राह्मण मांसाहार करते हैं, लेकिन यह एक व्यापक प्रथा नहीं है और न ही यह किसी विशेष राज्य तक सीमित है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, भारत में केवल 7% ब्राह्मण मांसाहारी हैं। यह अनुपात हर राज्य में भिन्न होता है, लेकिन किसी भी राज्य में यह बहुसंख्यक नहीं है।
कुछ राज्य जहाँ अपेक्षाकृत अधिक ब्राह्मण मांसाहार करते हैं:
• पश्चिम बंगाल: NFHS-5 के अनुसार, पश्चिम बंगाल में 12% ब्राह्मण मांसाहारी हैं।
• केरल: केरल में 11% ब्राह्मण मांसाहारी हैं।
• दिल्ली: दिल्ली में 8% ब्राह्मण मांसाहारी हैं।
• गोवा: गोवा में 7% ब्राह्मण मांसाहारी हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल अनुमान हैं और वास्तविक संख्याएँ भिन्न हो सकती हैं।
मांसाहार करने वाले ब्राह्मणों के पीछे के कारण:
मांसाहार करने वाले ब्राह्मणों के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
•सामाजिक-आर्थिक कारक: गरीबी या सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन वाले ब्राह्मणों में मांसाहार अधिक आम हो सकता है, क्योंकि वे प्रोटीन के अन्य स्रोतों को वहन करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।
•क्षेत्रीय प्रभाव: कुछ क्षेत्रों में, मांसाहार अधिक आम है, और ब्राह्मण भी इस प्रवृत्ति से प्रभावित हो सकते हैं।
•व्यक्तिगत पसंद: कुछ ब्राह्मण व्यक्तिगत रूप से मांस का सेवन करना चुन सकते हैं, भले ही यह उनके समुदाय में आम न हो।
यह महत्वपूर्ण है कि हम किसी भी समुदाय के सभी सदस्यों के बारे में सामान्यीकरण से बचें। मांसाहार करने वाले ब्राह्मणों की संख्या अपेक्षाकृत कम है और उनके पीछे कई कारण हो सकते हैं।
भारत में मांसाहारी ब्राह्मणों की संख्या एक जटिल मुद्दा है जिसे केवल आंकड़ों के आधार पर समझा नहीं जा सकता। सामाजिक-आर्थिक कारक, क्षेत्रीय प्रभाव और व्यक्तिगत पसंद सहित कई कारकों पर विचार करना महत्वपूर्ण है।