मुजफ्फरनगर, 20 जुलाई: मुजफ्फरनगर में स्थित प्रसिद्ध ढाबा 'ताऊ हुक्के वाला' अचानक एक विवाद के चलते तोड़ दिया गया। प्रमोद, जो इस ढाबे के मालिक हैं, ने अपने ढाबे को बड़ी मेहनत से चलाया था। इस घटना ने न केवल प्रमोद की मेहनत पर पानी फेर दिया, बल्कि समाज में फैली असहिष्णुता को भी उजागर किया है।
ढाबे का नाम 'ताऊ हुक्के वाला' से ही पता चलता है कि प्रमोद हिंदू हैं। हाल ही में कुछ कावड़ियों ने प्रमोद के ढाबे पर खाना ऑर्डर किया। सब्जी में लहसुन और प्याज का तड़का था, जो कि कुछ भक्तों के धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ था। इस पर कावड़ियों की भावनाएं आहत हो गईं और उन्होंने ढाबे में तोड़फोड़ शुरू कर दी। कुर्सियां, मेजें, शीशे - सब कुछ तोड़ दिए गए। इसके बाद ढाबे को बंद कर दिया गया।
प्रमोद का ढाबा तोड़ दिया गया। प्रमोद मुजफ्फरनगर में ढाबा चलाते हैं। ढाबे का नाम है - "ताऊ हुक्के वाला"।
— Krishna Kant (@kkjourno) July 20, 2024
नाम से तो जाहिर है कि हिंदू हैं। इनके यहां कावड़ियों ने खाना ऑर्डर किया। सब्जी में लहसुन, प्याज का तड़का लगा था।
भावना जी आहत हो गईं।
ढाबे में तोड़फोड़ की गई। कुर्सी,… pic.twitter.com/2xsv1vsKjQ
इस घटना ने समाज में व्याप्त नफरत और असहिष्णुता को फिर से उजागर कर दिया है। यह वही नफरत है जिसने पहले इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को मॉब लिंचिंग का शिकार बनाया था। याद होगा, जब एक मॉब ने उन्हें पीट-पीटकर मार डाला था।
पाकिस्तान का निर्माण हिंदुओं के खिलाफ हुआ था। वहां पहले हिंदू शरणार्थियों को मारा गया, फिर मुसलमान रिफ्यूजियों को, फिर कादियानों को, फिर शियाओं को और अंत में सुन्नी आपस में लड़ने लगे। यही हालात अब हमारे देश में भी दिखने लगे हैं। नफरत की टोकरी कभी नहीं भरती, वह बड़ी होती जाती है और समाज को बर्बाद करती है।
समाज में नफरत फैलाने वाले गिरोह अंत में आपस में ही लड़कर बर्बाद हो जाते हैं। पिछले दस सालों में मुल्लों को टाइट करने के चक्कर में कितने हिंदू बर्बाद हुए, इसका थाह नहीं है। यह नफरत एक दिन आपके दरवाजे भी जरूर आएगी।
इस घटना से प्रमोद का ढाबा बंद हो गया है और उनकी आजीविका पर गहरा असर पड़ा है। यह एक चिंता का विषय है कि कब तक हम अपने समाज में इस प्रकार की नफरत को बढ़ावा देते रहेंगे और कब तक निर्दोष लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।