गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा के गतिविधियों का विस्तृत वर्णन मिलता है। इस पुराण के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा शरीर त्यागकर 10 दिनों तक पृथ्वी पर भटकती रहती है। इन 10 दिनों में आत्मा मृत शरीर के आसपास ही रहती है और मृत्यु के बाद की घटनाओं को देखती है।
पहले 3 दिन: इन 3 दिनों में आत्मा अपने परिवार और प्रियजनों के शोक को देखती है।
अगले 3 दिन: इन 3 दिनों में आत्मा अपने किए हुए कर्मों का स्मरण करती है।
अंतिम 4 दिन: इन 4 दिनों में आत्मा यमलोक की यात्रा के लिए तैयार होती है।
10वें दिन: 10वें दिन यमदूत आत्मा को यमलोक ले जाते हैं। वहां यमराज द्वारा उसके कर्मों का हिसाब किया जाता है और उसे अगले जन्म के लिए गति प्रदान की जाती है।
लेकिन, गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा एक बार फिर अपने घर वापस आती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि 24 घंटे बाद भी मृत शरीर में सूक्ष्म चेतना बची रहती है। इस सूक्ष्म चेतना को आत्मा अपने घर वापस लाती है।
घर वापस आने के कारण:
- अधूरे कार्य: यदि मृत व्यक्ति के कोई अधूरे कार्य रह गए हैं, तो उसकी आत्मा उन कार्यों को पूर्ण करने के लिए घर वापस आ सकती है।
- असंतुष्ट आत्मा: यदि मृत व्यक्ति अपनी मृत्यु से संतुष्ट नहीं है, या यदि उसके मन में कोई चिंता या भय है, तो उसकी आत्मा शांत होने के लिए घर वापस आ सकती है।
- अटकाव: यदि मृत व्यक्ति का मरण अकाल मृत्यु या दुर्घटना में हुआ है, तो उसकी आत्मा को शरीर से पूरी तरह से मुक्ति नहीं मिल पाती है। ऐसी स्थिति में आत्मा घर वापस आ सकती है।
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए घर में दीप प्रज्वलित करना चाहिए। साथ ही, मृत व्यक्ति के नाम का तर्पण भी करना चाहिए। इससे आत्मा को गति प्राप्त होती है और वह शांति से परलोकगमन कर पाती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि गरुड़ पुराण में बताई गई बातें धार्मिक विश्वासों पर आधारित हैं। इनकी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है।